देवाससंपादकीय

सीहोर जैसा मॉडल अपनाया होता तो अब तक देवास कोरोना मुक्त होता

  • सीहोर क्यों रहा अब तक कोरोना मुक्त, देवास के अधिकारी सीहोर से कुछ सीखें
  • 23 दिन पहले से ही मोर्चाबंदी हो गई थी शुरू

(सौरभ सचान)
देवास लाइव। इंदौर और भोपाल जैसे हॉटस्पॉट की बीच होते हुए भी सीहोर ने अपने आपको अब तक कोरोनावायरस से मुक्त रखा है। इसके पीछे एक लंबी प्लानिंग और उसका संचालन सीहोर के कलेक्टर द्वारा किया गया था। देवास को बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है। सिर्फ मीठी मीठी खबरें छपवाने से कोरोना कंट्रोल नहीं हो जाता। उसके लिए जतन करना होता है और अब लगता है चिड़िया खेत चुग चुकी है।

सरकारी फरमानों का इंतजार किए बिना शुरू कर दिया था काम

सीहोर कलेक्टर अजय गुप्ता बताते हैं लॉकडाउन-1 लागू होने के 23 दिन पहले जिले में कोरोना की मोर्चाबंदी शुरू कर दी गई थी। जिले के अमले को तैयारियों में लगा दिया गया था। सरकारी तंत्र की अंतिम कड़ी ग्राम कोटवार से लेकर ग्रामीण रोजगार सहायकों और स्वास्थ्य विभाग के अमले को जोड़ा गया। पूरे जिले की गूगल शीट तैयार कराई गई। इस सूची में उन लोगों को शामिल किया जो जिले के थे और बाहर रह रहे थे। उनके आते ही नामों को सूचीबद्ध किया। इस दौरान इंदौर से 6500, भोपाल से 4000 सहित बाहरी राज्यों से करीब 22 हजार लोग लौटकर आए। तैयारी का फायदा यह मिला कि बाहर से आने वाले एक-एक व्यक्ति को पहले से ही चिह्नित कर उसके स्वास्थ्य परीक्षण में दल को लगा दिया गया। पिछले एक माह में सभी 22 हजार लोगों का स्वास्थ्य चार बार जांचा जा चुका है। पांचवीं बार परीक्षण की प्रक्रिया भी आरंभ है। जिले में 38 मेडिकल टीमें लगाई गईं हैं। सीमाएं आज भी सील हैं और स्थानीय लोग ही सीमाओं की निगरानी कर रहे हैं।

बाहर से आए लोगों की निगरानी का दिया गया जिम्मा

जिले के सभी ग्राम कोटवार और सहायकों के मोबाइल को सर्विलांस से जोड़कर बाहर से आए लोगों की निगरानी का जिम्मा दिया गया। कोटवार प्रतिदिन संबंधित के घर जाकर मौजूदगी सुनिश्चित करता। इस विवरण को गूगल (मैप) शीट पर अंकित किया गया ताकि संबंधित व्यक्ति की लोकेशन और दर्ज की जा रही स्वास्थ्य संबंधी जानकारी को रियल टाइम पर मॉनिटर किया जाता रहे।

इनपुट साभार जागरण

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