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सतवास में अतिक्रमण अभियान के दौरान दंपती का आत्मदाह प्रयास, कलेक्टर ने तहसीलदार-सीएमओ को किया सस्पेंड

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देवास, 25 दिसंबर 2025: मध्य प्रदेश के देवास जिले के सतवास कस्बे में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान एक दंपती द्वारा आत्मदाह के प्रयास ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया है। इस घटना में पति-पत्नी गंभीर रूप से झुलस गए, जबकि स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और हिंसक प्रदर्शन हुए। कलेक्टर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तहसीलदार अरविंद दीवाकर और नगर पालिका सीएमओ चुन्नीलाल जुनवाल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। जांच कमिटी गठित की गई है, लेकिन परिवार और स्थानीय निवासियों का आरोप है कि प्रशासन की मनमानी और भ्रष्टाचार ने इस घटना को जन्म दिया।

पूरा घटनाक्रम: कैसे शुरू हुई विवाद की चिंगारी से आग लगी

घटना 24 दिसंबर 2025 की दोपहर की है, जब सतवास बस स्टैंड पर स्टेशनरी और फोटोकॉपी की दुकान चलाने वाले संतोष व्यास और उनकी पत्नी जयश्री व्यास वार्ड नंबर 5 में अपना घर बना रहे थे। पड़ोसी की शिकायत पर प्रशासन को सूचना मिली कि निर्माण में सार्वजनिक नाली पर अतिक्रमण किया गया है। इसके आधार पर तहसीलदार अरविंद दीवाकर की अगुवाई में टीम JCB मशीन लेकर मौके पर पहुंची।

परिवार का कहना है कि उनके पास निर्माण की सभी जरूरी अनुमतियां थीं और कोई अतिक्रमण नहीं था। टीम के पहुंचने पर संतोष और जयश्री ने दस्तावेज दिखाने की कोशिश की, लेकिन तहसीलदार ने सुनवाई नहीं की और JCB से निर्माण तोड़ने का आदेश दे दिया। इससे बहस छिड़ गई। विवाद इतना बढ़ा कि दंपती ने विरोध में खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली। मौके पर मौजूद लोग दौड़े और आग बुझाई, लेकिन तब तक दोनों गंभीर रूप से झुलस चुके थे।

घटना के दौरान पुलिसकर्मी भाग खड़े हुए, जबकि लोगों ने दंपती को बचाया। दोनों को पहले सतवास अस्पताल में प्राथमिक उपचार दिया गया, फिर गंभीर हालत में इंदौर रेफर कर दिया गया। उनकी स्थिति अब भी नाजुक बनी हुई है। घटना के बाद तनाव बढ़ गया—लोगों ने JCB पर पथराव किया, तहसीलदार और टीम को जान बचाकर भागना पड़ा। परिवार की ओर से आरोप लगाया गया कि पड़ोसी परिवार ने गोलीबारी भी की, हालांकि पुलिस जांच कर रही है।

शाम तक ADM संजीव जैन ने स्थिति संभाली और कलेक्टर ने तहसीलदार व सीएमओ को सस्पेंड कर दिया। एक जांच कमिटी बनाई गई, जो 7 दिनों में रिपोर्ट देगी। JCB मालिकों ने भी पुलिस स्टेशन में ऑडियो रिकॉर्डिंग जमा की, जिसमें तहसीलदार की बातचीत है।

प्रशासन की लापरवाही: भ्रष्टाचार से लेकर मनमानी तक

इस घटना ने प्रशासन की कई कमियां उजागर की हैं। परिवार का आरोप है कि कोई पूर्व नोटिस नहीं दिया गया, जबकि नियमों के मुताबिक अतिक्रमण हटाने से पहले नोटिस जारी करना जरूरी है। दंपती के पास सभी दस्तावेज थे, फिर भी सुनवाई नहीं हुई—यह साफ तौर पर मनमानी है।

इसके अलावा, घटना के समय पुलिस की निष्क्रियता भी लापरवाही का उदाहरण है। आग लगने पर पुलिसकर्मी मदद करने की बजाय भाग गए, जिससे स्थिति और बिगड़ी। प्रशासन की टीम में समन्वय की कमी थी—JCB लेकर पहुंचे, लेकिन विवाद सुलझाने की कोई तैयारी नहीं।

लोगों की प्रतिक्रिया: गुस्सा फूटा, सोशल मीडिया पर आलोचना की बाढ़

घटना के बाद स्थानीय निवासियों और परिवार के करीब 150 लोगों ने सतवास पुलिस स्टेशन के पास रोड ब्लॉक कर दिया। प्रदर्शन 6 घंटे चला, जिससे 3 किमी लंबा ट्रैफिक जाम लगा। लोग तहसीलदार पर मर्डर अटेम्प्ट का केस दर्ज करने की मांग कर रहे थे। पुलिस को कांटाफोड़, सतवास, कन्नौद समेत कई थानों से फोर्स बुलानी पड़ी।

सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। मध्य प्रदेश कांग्रेस ने इसे ‘कुशासन का काला चेहरा’ बताया और मुख्यमंत्री मोहन यादव से सवाल किया कि प्रशासनिक जुल्म कब तक चलेगा। एक यूजर ने वीडियो शेयर कर कहा कि प्रशासन की यातना से पीड़ित दंपती को मजबूर किया गया। लोगों ने भ्रष्टाचार और मनमानी की आलोचना की। कुछ यूजर्स ने वीडियो में दावा किया कि पास की महिला ने पेट्रोल डाला, लेकिन यह जांच का विषय है।

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