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शिप्रा नदी में पेयजल व सिंचाई के पानी की मांग को लेकर आक्रोशित किसान पहुंचे कलेक्टर कार्यालय

आक्रोशित किसानों का सरकार को कड़ा संदेश समय रहते पानी नहीं तो वोट नहीं

देवास। नर्मदा क्षिप्रा लिंक परियोजना के तहत शिप्रा नदी में पीने व सिंचाई के पानी की उपलब्धता की मांग को लेकर आज क्षेत्र के किसान कलेक्टर कार्यालय देवास पर पहुंचे और  धरना प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया।

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इस दौरान युवा किसान संगठन अध्यक्ष रविंद्र चौधरी ने कहा सरकार व सरकार के प्रतिनिधि जब हमारे बीच में आते है तो बड़ी-बड़ी सिंचाई व पेयजल योजनाओं की बात करते है, लेकिन जब वास्तव में हमको पानी की आवश्यकता होती है तो हमारा पानी उद्योगों को बेच दिया जाता है व हमको बूंद-बूंद पानी के लिए तरसाया जाता है, लेकिन न्यूटन का लॉ है कि हर क्रिया के बराबर किंतु विपरीत प्रतिक्रिया होती है। आज जब हम लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है और सरकार ने अगर समय रहते हमारी सुध नहीं ली तो सत्तारूढ़ पार्टी को आने वाले विधानसभा चुनाव में एक-एक वोट के लिए तरसना पड़ेगा और साथ ही किसानों ने पानी नहीं तो वोट नहीं के नारे लगाए। चौधरी यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि हमारे विधायक व जनप्रतिनिधि की निष्क्रियता के चलते हमारा पीने का व सिंचाई का पानी देवास व पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र को बेचा जा रहा है।

किसानों की मांग है कि शिप्रा उद्गम स्थल से लेकर देवास सीमा तक 3 विधानसभा क्षेत्र सांवेर, हाटपिपलिया, देवास  विधानसभा के 300 से अधिक गांव, सिंचाई के लिए व 500 से अधिक गांव पेयजल के लिए प्रभावित होते हैं। समय रहते शिप्रा नदी में पानी की पर्याप्त व्यवस्था ना होने पर अनाज व सब्जी के दामों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जो सीधे-सीधे महंगाई को बढ़ाएगा। क्योंकि  फसलों की बुवाई खाद बीज और किसान की सारी लागत का खर्च किसान फसलों को तैयार करने में कर चुका है। पानी न मिलने की स्थिति में किसान को 100 प्रतिशत नुकसान होगा। एक अनुमान के अनुसार अकेले हाटपिपलिया विधानसभा के किसानों को 400 से 500 करोड़ रुपए का नुकसान होगा, जिसकी भरपाई सरकार द्वारा करना असंभव है। नर्मदा शिप्रा लिंक परीयोजना पर जनता का 1000 करोड रुपए से अधिक खर्च करने के पश्चात भी समय पर किसानों को पेयजल व सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है तो योजना का लाभ किसको हो रहा है। क्षेत्र के किसानों का पीने व सिंचाई का पानी चंद रुपयों के लिए उद्योगपतियों को बेच देना सरकार की कथनी और करनी में अंतर को स्पष्ट करता है। इस दौरान गौरव चौधरी, नंदकिशोर बिलावलिया, घनश्याम चौधरी, छोटेलाल पटेल, ओम प्रकाश जी मंडलोई,, जगदीश पटेल, राजन गुड्डू चौधरी, रवि पटेल, रोहित पटेल, कमल पटेल, श्याम पटेल, दिनेश पटेल, जीवन पटेल, रवि खेड़ा, राजेश पटेल, राधेश्याम वैष्णव, विक्रम चौधरी, हकीम सरपंच, जावेद लोहारी, देवेंद्र चौधरी, प्रकाश चौधरी सहित बड़ी संख्या क्षेत्र के किसान उपस्थित थे।

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