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इंजेक्शन कालाबाजारी के मामले में अमलतास अस्पताल के दो कर्मचारी गिरफ्तार, पुलिस बड़ी मछलियों तक नहीं पहुंच सकी

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देवास लाइव। देवास में बड़े पैमाने पर रेमडेसीविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हुई और जरूरतमंद लोगों को 40 हजार तक में इंजेक्शन इन ब्लैक मार्केटिंग करने वालों से खरीदने पड़े।


कोतवाली पुलिस ने प्राइम हॉस्पिटल के दो कर्मचारियों का स्टिंग कर इंजेक्शन कालाबाजारी की लिंक को पकड़ने का प्रयास किया लेकिन वह बड़ी मछलियों तक अब तक नहीं पहुंच सकी। 


कोतवाली पुलिस ने अमलतास अस्पताल से इंजेक्शन निकालकर बेचने वाले 2 कर्मचारी अनिल पिता मांगीलाल निवासी सुनवानी क्षिप्रा और प्रियंका पिता लक्ष्मी चंद निवासी टोंक खुर्द को गिरफ्तार किया है।

बकौल थाना प्रभारी उमराव सिंह प्रियंका ने बताया कि उसकी बुआ की मृत्यु के बाद एक इंजेक्शन बच गया था जो उसने आरोपी वीरेंद्र की के माध्यम से सरगना लोकेंद्र को उपलब्ध करवाया था। इस काम में अनिल ने उसका सहयोग किया था।

पुलिस द्वारा इसी मामले में आरोपी लोकेंद्र अंकित और अर्जुन के खिलाफ रासुका के अंतर्गत कार्रवाई प्रस्तावित की गई है।


बड़ी मछलियों तक नहीं पहुंची पुलिस

इंजेक्शन कालाबाजारी के मामले में यह देखने में आ रहा है कि अब तक जो भी आरोपी गिरफ्तार हुए हैं वह छोटे स्तर के कर्मचारी हैं। अमलतास अस्पताल से इंजेक्शन निकालकर बेचने के मामले में जिम्मेदारों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई पुलिस नहीं कर सकी। मामले में पुलिस द्वारा मात्र दो-तीन इंजेक्शन ही जप्त किए गए हैं जबकि सूत्रों के अनुसार देवास में सैकड़ों की संख्या में इंजेक्शन कालाबाजारी हो चुकी है। इन मामले में कई अस्पतालों की भूमिका भी संदिग्ध है। 

अब देखने वाली बात होगी की पुलिस वाकई में कालाबाजारी के बड़े खिलाड़ियों को पकड़ पाती है या छोटे कर्मचारियों को पकड़कर सिर्फ मीडिया में कोरी वाहवाही करवाती है। 

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