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निर्माणाधीन तीनों सिंचाई परियोजना से नहीं मिल पाएगा देवास को नर्मदा जल

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@Dewas Live News निर्माणाधीन तीनों सिंचाई परियोजना से नहीं मिल पाएगा देवास को नर्मदा जल

देवास। पं. रितेश त्रिपाठी मित्र मंडल द्वारा आयोजित पत्रकारवार्ता में बताया गया कि विधानसभा में विधायक महोदया के ध्यानाकर्षण प्रश्र पर जवाब देते हुए नर्मदा घाटी विकास राज्यमंत्री भारतसिंह कुशवाह ने बताया कि नर्मदा क्षिप्रा बहुउद्देश्यीय योजना में भी देवास जिले का कोई क्षेत्र सिंचाई हेतु प्रस्तावित नहीं है। साथ ही प्रस्तावित हाटपीपल्या माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना की सैद्धांतिक स्वीकृति 13.7.2020 को जारी की गई है। इस योजना से देवास जिले के हाटपीपल्या ,बागली, उदयनगर एवं सतवास एवं कन्नौद तहसील के 95520 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना प्रस्तावित है। साथ ही निर्माणाधीन आयएसपी कालीसिंध परियोजना के अंतर्गत कुल 1 लाख हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र में से तहसील देवास के मात्र 3 ग्रामों की 1133 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई प्रस्तावित है। इस योजना का 53 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो जाने से देवास तहसील के देवास विधानसभा क्षेत्र के शेष ग्रामों में नर्मदा नदी से सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाने हेतु अब सर्वे कार्य कराया जाना संभव नहीं है। इन तीनों परियोजनाओ में अब पानी शेष नहीं है। जिससे देवास विधानसभा को सिंचाई व पेयजल के लिए जल मिल सके।

हमारे द्वारा फरवरी 2020 में देवास शहर व देवास ग्रामीण के 72 गांवों को सिंचाई एवं पेयजल मिले इसके लिए प्रस्तावित नर्मदा देवास उदवहन सिंचाई परियोजना की मांग की गई थी जिसमें कुल 275 ग्रामों के लिए 1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराने का प्रस्ताव था। जिसमें देवास विधानसभा के 26 ग्राम तथा 55 ग्राम हाटपीपल्या विधानसभा के अंतर्गत प्रस्तावित थे। ये सभी ग्राम देवास तहसील के अंतर्गत आते हैं। साथ ही सोनकच्छ विधानसभा में सोनकच्छ तहसील के 8, टोंकखुर्र्द तहसील के 57 ग्राम सम्मिलित थे जो कालीसिंध परियोजना से छूट गए थे। 275 में से शेष बचे ग्राम मोहन बडोदिया, इंदौर, तराना तहसील के सम्मिलित थे। वर्तमान में मोहन बडोदिया के ग्राम कालिसिंध परियोजना में जुड चुके हैं। इसलिए देवास विधानसभा के शेष बचे ग्राम साथ ही देवास नगर निगम सीमा क्षेत्र के 19 राजस्व ग्रामों को सिंचाई के साथ देवास शहर को स्थाई पेयजल एवं औद्योगिक क्षेत्र के लिए जल उपलब्ध हो सकेगा। इसके लिए प्रस्तावित नर्मदा देवास उदवहन योजना की मंजूरी ही एक मात्र विकल्प है। इस अवसर पर अनिल पटेल, चंद्रपालसिंह सोलंकी, हिम्मतसिंह चावड़ा, शिव हाड़ा, दिग्विजयसिंह झाला ,नईम एहमद, राजेश कुमावत आदि उपस्थित थे।

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