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मध्यप्रदेश में छाया बिजली संकट, बिजली कटौती के लिए तैयार रहिए

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कोयले की कमी से मध्य प्रदेश में गंभीर बिजली का संकट आया है, इस वजह से ग्रामीण इलाकों में 2-2 घंटे की कटौती शुरु हो गई है। 10-10 जिलों के क्लस्टर बनाकर बिजली की कटौती की रही है। प्रदेश में बिजली की मांग करीब 10 हजार मेगावाट है, लेकिन 8 हजार मेगावॉट ही उपलब्ध हो पा रही है। 

बताया जा रहा है कि कोयला कंपनी ने सरकारी भुगतान नहीं होने पर सप्लाई बंद कर दी है। वहीं सिंगाजी पावर प्लांट में बिजली का उत्पादन आधा हो गया है। सिंगाजी पावर प्लांट की 2400 MW में से 1200 MW की बिजली उत्पादन इकाइयां भी बंद हैं। जबकि संजय गांधी पावर प्लांट में भी कोयला खत्म होने की कगार पर है। दोनों पावर प्लांट से बिजली उत्पादन रुकने से बिजली का संकट और गहरा सकता है।

बिजली की मांग के बीच आपूर्ति के अंतर को पाटने के लिए मप्र पावर ट्रांसंमिशन कंपनी की ओर से बिजली कटौती के आदेश जारी हुए थे। आदेश के बाद शुक्रवार शाम इंदौर के ग्रामीण फीडरों के साथ कुल नौ जिलों में बारी-बारी से बिजली आपूर्ति बंद कर दी। पहले चरण में इंदौर ग्रामीण के साथ देवास, नीमच और खंडवा, खरगोन जिले प्रभावित हुए। दूसरा चरण में बुरहानपुर, बड़वानी, धार, रतलाम और शाजापुर में बिजली बंद की गई। पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी और मप्र ट्रांसमिशन कंपनी के अधिकारी कटौती स्वीकार करते हुए ऊपर से आए आदेश का हवाला दे रहे हैं।

संकट की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है क्योंकि बिजली विभाग ने अपने कर्मचारियों को लोड शेडिंग के लिए तैयार रहने को कहा है। साथ में ग्रिड पर सुरक्षा और जनता से शिकायत पर अच्छा व्यवहार करने की हिदायत दी है। ताकि कोई लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति निर्मित न हो।

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