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देवास: किसानों के साथ स्कैम? आर्टिसन एग्रोटेक बांस मिशन से गायब, सरकारी योजना पर सवाल

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देवास। मध्य प्रदेश में “एक जिला, एक उत्पाद” योजना के तहत दो जिलों के किसानों के लिए बांस मिशन एक भारी सिरदर्द बन गया है। आर्टिसन एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी ने किसानों को बांस लगाने और खरीदने का आश्वासन देकर एग्रीमेंट किए थे। लेकिन अब कंपनी के कर्ताधर्ता पिछले छह महीनों से गायब हैं, जिससे किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है।

कंपनी को 2019 में मप्र सरकार द्वारा देवास और हरदा जिलों में बांस उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया गया था। आर्टिसन एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड ने किसानों को बांस लगाने के लिए एग्रीमेंट किया, जिसमें 40 साल तक या बांस की आयु पूरी होने तक कंपनी को प्रति मीट्रिक टन 2550 रुपए पर बांस खरीदने का वादा किया गया था। किसानों ने कंपनी पर विश्वास किया और बांस की खेती में भारी निवेश किया, लेकिन अब जब फसल तैयार हो गई है, तो कंपनी के अधिकारी लापता हो गए हैं।

वन विभाग का विवादित रुख

इस पूरे मामले में सबसे अधिक हैरानी की बात यह है कि वन विभाग के अफसर अब भी कंपनी का समर्थन कर रहे हैं, जबकि किसानों की हालत दयनीय है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कंपनी घाटे में है, इसीलिए वह बाजार से गायब है। यह स्थिति तब है जब सरकारी योजनाओं के तहत किसानों को बांस उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया गया और कंपनी को सरकारी बैठकों में विशेष स्थान दिया गया।

किसानों की मुसीबतें बढ़ीं

किसानों का कहना है कि उन्होंने वन विभाग और कंपनी पर भरोसा कर अपनी जमीन पर बांस लगाए थे, लेकिन अब उनके लिए यह फसल बोझ बन गई है। आर्टिसन एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड के लापता होने से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है, बल्कि उनकी मेहनत भी बेकार हो गई है। सरकार की योजनाओं और निजी कंपनियों के साथ किए गए एग्रीमेंट के प्रति अब किसानों का भरोसा डगमगाने लगा है।

सरकारी योजना पर सवाल

इस घटना ने “एक जिला, एक उत्पाद” जैसी सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आर्टिसन एग्रोटेक जैसी कंपनियों को बिना सही जांच-पड़ताल के ब्रांड एंबेसडर बनाना और सरकारी बैठकों में शामिल करना, सरकार की नीतियों की विफलता को दर्शाता है। अगर जल्द ही इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो भविष्य में अन्य योजनाओं के प्रति किसानों का विश्वास और भी कम हो सकता है।

सरकार और संबंधित विभागों को चाहिए कि वे इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करें और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। साथ ही, किसानों को उनका उचित मुआवजा दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रह सके।

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