Dewas: जेल की सुरक्षा में सनसनीखेज चूक: जिला अस्पताल के बाबू ने फर्जी पत्र और डॉक्टर की ड्रेस में जेल में की घुसपैठ, पुलिस में शिकायत की तैयारी

देवास, मध्य प्रदेश: जिला जेल की सुरक्षा व्यवस्था में एक गंभीर चूक का मामला सामने आया है, जहां जिला अस्पताल के एक बाबू ने फर्जी पत्र और डॉक्टर की ड्रेस का इस्तेमाल कर जेल में प्रवेश करने की कोशिश की। यह चौंकाने वाली घटना सोमवार को उस समय उजागर हुई, जब जेल में चल रहे टीबी स्वास्थ्य शिविर के दौरान कर्मचारियों ने संदिग्ध गतिविधि पर ध्यान दिया। जेल प्रबंधन ने अब इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की बात कही है।
फर्जी पत्र और डॉक्टर की ड्रेस में जेल में घुसा बाबू
घटना में शामिल जिला अस्पताल के बाबू सुरेश कुमार शिंदे ने सिविल सर्जन के लेटरहेड पर रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर (आरएमओ) के फर्जी हस्ताक्षर के साथ एक पत्र तैयार किया था। इस पत्र में जेल अधीक्षक के नाम लिखा गया था कि नवीन कैदियों के स्वास्थ्य परीक्षण की जानकारी के लिए वह जेल में आए हैं। सबसे हैरानी की बात यह थी कि शिंदे ने डॉक्टर की ड्रेस पहन रखी थी, ताकि वह अपनी पहचान को और विश्वसनीय बना सके।
सोमवार को जेल में टीबी स्वास्थ्य शिविर चल रहा था। इसी दौरान शिंदे जेल में पहुंचा और अपने रिश्तेदार, नितिन गंधव, जो दुष्कर्म के एक मामले में जेल में बंद है और जिला अस्पताल का आउटसोर्स सफाईकर्मी सुपरवाइजर है, से कुछ कागजात पर हस्ताक्षर करवाने लगा। इस बीच, जेल के एक कर्मचारी की नजर शिंदे पर पड़ी और उसने पूछताछ शुरू की। शिंदे ने अपने पास मौजूद फर्जी पत्र दिखाकर दावा किया कि उसे जेल में प्रवेश की अनुमति है।
जेल कर्मचारियों की सतर्कता से हुआ खुलासा
जेल कर्मचारी को शिंदे की गतिविधियों पर संदेह हुआ, जिसके बाद उन्होंने जेल अधीक्षक हिमानी मनवारे को सूचित किया। जेल अधीक्षक ने तुरंत जिला अस्पताल के सिविल सर्जन कार्यालय से संपर्क कर पत्र की सत्यता की जांच की। जांच में पता चला कि ऐसा कोई पत्र जारी नहीं किया गया था और यह पूरी तरह फर्जी था। इसके बाद शिंदे को तत्काल जेल परिसर से बाहर निकाल दिया गया।
जेल अधीक्षक हिमानी मनवारे ने बताया, “सोमवार को जेल में टीबी का स्वास्थ्य शिविर चल रहा था। उसी दौरान कर्मचारी शिंदे जेल में आया और एक बंदी से कागजात पर हस्ताक्षर करवाने लगा। हमारे कर्मचारी ने उसे पकड़ा और पूछताछ की। पत्र की सत्यता की जांच के लिए हमने जिला अस्पताल से संपर्क किया, जहां से स्पष्ट हुआ कि यह पत्र फर्जी है। अब हम इस मामले में जिला अस्पताल से जानकारी ले रहे हैं और पुलिस में शिकायत दर्ज करवाएंगे।”
फर्जी पत्र में क्या था?
जेल अधीक्षक के नाम लिखा गया चार लाइनों का यह पत्र बेहद संक्षिप्त था। इसमें लिखा था, “नवीन कैदियों के स्वास्थ्य परीक्षण के संबंध में उपरोक्त विषय में लेख है कि नवीन कैदियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया या नहीं, इस संबंध में इस कार्यालय के मुख्य लिपिक एवं सहायक अधीक्षक को अवगत कराने का कष्ट करें।” पत्र के अंत में आरएमओ के फर्जी हस्ताक्षर थे, और शिंदे ने खुद को सहायक अधीक्षक के रूप में दर्शाया था।
सिविल सर्जन और आरएमओ की प्रतिक्रिया
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. आरपी परमार ने इस घटना पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “मेरे लेटरहेड पर आरएमओ के हस्ताक्षर कर फर्जी पत्र बनाया गया है, जो पूरी तरह गलत है। सुरेश शिंदे हमारे कार्यालय में कार्यरत है, और मैं इस मामले में उससे बात करूंगा। जेल प्रबंधन ने मुझसे इस संबंध में जानकारी मांगी है।” वहीं, आरएमओ डॉ. अजय पटेल ने स्पष्ट किया, “लेटरहेड सिविल सर्जन का है, तो हस्ताक्षर भी उनके होने चाहिए, न कि मेरे। यह पत्र पूरी तरह फर्जी है।”
जेल की सुरक्षा पर उठे सवाल
इस घटना ने जिला जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक व्यक्ति के फर्जी पत्र और डॉक्टर की ड्रेस में इतनी आसानी से जेल में प्रवेश कर लेने से यह स्पष्ट होता है कि सुरक्षा जांच में कमी थी। इससे पहले भी देश के विभिन्न हिस्सों में फर्जी दस्तावेजों के जरिए अस्पतालों और अन्य संस्थानों में घुसपैठ के मामले सामने आ चुके हैं।
पुलिस में शिकायत की तैयारी
जेल अधीक्षक हिमानी मनवारे ने बताया कि इस मामले में जिला अस्पताल से पूरी जानकारी लेने के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज की जाएगी। उन्होंने कहा, “यह एक गंभीर मामला है, और हम इसे हल्के में नहीं ले सकते। फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर जेल में प्रवेश करना सुरक्षा के लिए खतरा है। हम इसकी पूरी जांच करेंगे और उचित कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।”


