देवास। नगर निगम की हालिया परिषद बैठक में भाजपा की पार्षदों के बीच गहराई गुटबाजी के चलते विवाद उत्पन्न हो गया। भाजपा के 14 पार्षदों ने परिषद की बैठक का बहिष्कार कर दिया, जिसमें उन्होंने विकास कार्यों में हो रहे भेदभाव का आरोप लगाया। इन पार्षदों का कहना था कि मुख्यमंत्री अधोसंरचना के तहत प्राप्त राशि का वितरण केवल 6 वार्डों में किया गया है, जिससे अन्य वार्डों के विकास कार्य अवरुद्ध हो रहे हैं।
इस विरोध में शामिल पार्षदों में प्रमुख नाम राजेश यादव, अजय तोमर, आलोक साहू, पिंकी संजय दायमा, खुशबू निलेश वर्मा, उषा गोपाल खत्री, सोनू परमार, रामदयाल यादव, अकीला अजब सिंह, भूपेश ठाकुर, निधि प्रवीण वर्मा, विकास जाट, रितु सावनेर, और आस्था पिंटू देशमुख का है। उन्होंने परिषद की बैठक में प्रवेश करते ही विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और बैठक का बहिष्कार कर बाहर चले गए। इस विरोध के दौरान, उन्होंने पोस्टर भी लहराए, जो उनके असंतोष और गुस्से का प्रतीक थे।
भीतर की जानकारी के अनुसार, भाजपा के भीतर वर्तमान में दो गुट बने हुए हैं: सांसद गुट और विधायक गुट। यह गुटबाजी न केवल पार्टी की एकता को खंडित कर रही है, बल्कि शहर के विकास कार्यों पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। पार्षद राजेश यादव ने आरोप लगाया कि सांसद निधि से प्राप्त धनराशि का सही ढंग से उपयोग नहीं किया जा रहा है, और सांसद को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव की विचारधारा के अनुसार विकास चाहते हैं और ‘सबका साथ, सबका विकास’ के आधार पर काम करने के इच्छुक हैं।
पार्षद राजेश यादव द्वारा प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की विकास नीति पर जोर देने के बावजूद, पार्टी के भीतर की गुटबाजी इस विचारधारा को पूरी तरह से लागू करने में बाधा बन रही है। विकास की राजनीति के स्थान पर इस प्रकार की गुटबाजी न केवल पार्टी को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि देवास के विकास की गति को भी धीमा कर रही है।
भाजपा की आंतरिक गुटबाजी देवास नगर निगम की कार्यक्षमता को बाधित कर रही है। यदि यह गुटबाजी जारी रही, तो शहर के विकास और जनकल्याण के कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। पार्टी को समय रहते इस स्थिति को सुधारने की आवश्यकता है, ताकि देवास के विकास कार्यों में तेजी लाई जा सके और जनता का विश्वास पुनः प्राप्त किया जा सके। पार्षद राजेश यादव द्वारा प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की विकास विचारधारा पर आधारित कार्य करने की इच्छा को सम्मान दिया जाना चाहिए, ताकि ‘सबका साथ, सबका विकास’ का सपना साकार हो सके।