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देवास: शुक्रवासा गांव में अवैधानिक धर्मांतरण और विदेशी फंडिंग मामले में सौरभ बनर्जी की जमानत याचिका खारिज

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देवास, 8 अगस्त 2025: मध्य प्रदेश के देवास जिले के बरोठा तहसील के शुक्रवासा गांव में अवैधानिक धर्मांतरण की गतिविधियों के मुख्य आरोपी सौरभ बनर्जी की जमानत याचिका को सत्र न्यायालय ने खारिज कर दिया है। इससे पहले विचारण न्यायालय ने भी उनकी जमानत याचिका को ठुकरा दिया था। इस मामले में हाउल ग्रुप नामक संगठन पर आदिवासी बाहुल्य गांव में धर्मांतरण के लिए कैंप संचालित करने और विदेशी फंडिंग प्राप्त करने का गंभीर आरोप है।

न्यायालय में ग्रामवासियों की ओर से अधिवक्ता नमन सोनी ने जमानत याचिका पर आपत्ति दर्ज की। उन्होंने तर्क दिया कि शुक्रवासा गांव आदिवासी बाहुल्य है, जहां हाउल ग्रुप ने पूर्व नियोजित तरीके से आदिवासियों को बहला-फुसलाकर धर्मांतरण की साजिश रची। अधिवक्ता ने बताया कि संगठन को विदेशों से धन प्राप्त हो रहा था, जिसका उपयोग इन गतिविधियों के लिए किया जा रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि यदि आरोपी को जमानत दी गई, तो वह फरियादी और साक्षियों को भ्रमित करने का प्रयास कर सकता है। साथ ही, सौरभ बनर्जी के पश्चिम बंगाल का मूल निवासी होने के कारण उनके फरार होने की आशंका भी जताई गई।

न्यायालय ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद अपराध की गंभीरता और पुलिस अनुसंधान की अपूर्णता को ध्यान में रखते हुए सौरभ बनर्जी की जमानत याचिका खारिज कर दी।

हाउल ग्रुप और पुलिस कार्रवाई

हाउल ग्रुप के संचालक सौरभ बनर्जी को बरोठा पुलिस ने शुक्रवासा गांव में धर्मांतरण और संदिग्ध गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस के अनुसार, संगठन ने गांव में कैंप आयोजित कर आदिवासियों को लालच देकर और बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करने की कोशिश की। जांच में यह भी सामने आया कि हाउल ग्रुप को विदेशी फंडिंग मिल रही थी, जिसके स्रोतों की जांच के लिए पुलिस सौरभ को पश्चिम बंगाल ले जा सकती है।

सौरभ के वकील ने दावा किया था कि हाउल ग्रुप 2021 से शुक्रवासा गांव में स्वास्थ्य सुविधाएं, लाइब्रेरी, शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से गरीब तबके के लोगों की मदद कर रहा है। उनके मुताबिक, संगठन के 100 से अधिक सदस्य हैं और उन पर लगाए गए धर्मांतरण के आरोप गलत हैं। वकील ने यह भी कहा कि 2023 से कुछ स्थानीय लोगों ने संगठन के सदस्यों पर हमले की कोशिश की, जिसकी शिकायत बरोठा पुलिस और देवास एसपी से की गई थी, लेकिन उस समय कोई जांच नहीं हुई।

हालांकि, पुलिस ने संगठन की गतिविधियों को संदिग्ध मानते हुए सौरभ बनर्जी को हिरासत में लिया और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की। पुलिस ने संगठन से संबंधित सामग्री भी जब्त की है, जिसकी जांच जारी है।

न्यायालय का निर्णय

सत्र न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए और पुलिस जांच के अधूरे होने के कारण सौरभ बनर्जी को जमानत देने से इनकार कर दिया। स्थानीय ग्रामवासियों ने भी संगठन की गतिविधियों के खिलाफ शपथ पत्र प्रस्तुत किए हैं, जिसमें उन्होंने हाउल ग्रुप पर धर्मांतरण के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया है।

पुलिस और प्रशासन इस मामले में सतर्कता बरत रहे हैं और आगे की जांच में विदेशी फंडिंग के स्रोतों और संगठन की गतिविधियों की गहराई से पड़ताल की जा रही है। यह मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है, और स्थानीय लोग प्रशासन से इस तरह की गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

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