जवेरी श्रीराम मंदिर भूमि विवाद: प्रशासन पर भ्रष्टाचार का आरोप, श्रीराम के नाम पर जमीन वापस करने की मांग
देवास:जवेरी श्रीराम मंदिर (एमजी रोड) की भूमि को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। पूर्व मंत्री दीपक जोशी, पं. रितेश त्रिपाठी, धर्मेन्द्रसिंह कुशवाह एवं साधना प्रजापति ने मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जे और प्रशासनिक भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई है।
उनका दावा है कि मंदिर की 25 बीघा जमीन, जो भगवान श्रीराम को समर्पित थी, को कुछ लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। जिला न्यायालय और उच्च न्यायालय ने मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया है, लेकिन प्रशासन ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
मंदिर समर्थकों का आरोप है कि अधिकारी भ्रष्टाचार और राजनीतिक दबाव में काम कर रहे हैं। उन्होंने जिलाधिकारी को तत्काल कार्रवाई कर जमीन को कब्जा मुक्त कराने और श्रीराम के नाम पर दर्ज कराने की मांग की है।
जवेरी श्रीराम मंदिर भूमि विवाद: विस्तृत जानकारी
भूमि का इतिहास:
* जूनियर राम बाग, देवास में स्थित 25 बीघा जमीन भगवान श्रीराम को समर्पित थी।
* यह जमीन मंदिर के संचालन और रखरखाव के लिए दी गई थी।
* आरोप है कि कुछ लोगों ने मिलकर इस जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया और इसे बेचना शुरू कर दिया।
कानूनी लड़ाई:
* इस अवैध कब्जे के खिलाफ मंदिर के एक पूर्व ट्रस्टी ने जिला न्यायालय में मुकदमा दायर किया था।
* जिला न्यायालय ने मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया और जमीन को कब्जा मुक्त करने का आदेश दिया।
* इसके बाद, कब्जाधारियों ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की।
* उच्च न्यायालय ने भी जिला न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा और मंदिर को जमीन वापस लौटाने का आदेश दिया।
प्रशासनिक कार्यवाही:
* हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद, प्रशासन ने अभी तक जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।
* मंदिर समर्थकों का आरोप है कि कुछ अधिकारी कब्जाधारियों से मिलकर काम कर रहे हैं और उन्हें संरक्षण दे रहे हैं।
* इस देरी और कथित मिलीभगत से मंदिर के समर्थकों में रोष व्याप्त है।
वर्तमान स्थिति:
* मंदिर समर्थकों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
* उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही कार्रवाई नहीं की गई तो वे उग्र आंदोलन शुरू करेंगे।
* यह मामला अब गरमाता जा रहा है और देखना बाकी है कि प्रशासन मंदिर की जमीन को वापस लौटाएगा या फिर विवाद और बढ़ेगा।
विवाद के महत्वपूर्ण पहलू:
* यह मामला धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है और इससे बड़ी संख्या में लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं।
* यह कानूनी तौर पर भी एक महत्वपूर्ण मामला है क्योंकि इसमें हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन हुआ है।
* इस विवाद ने प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं।