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सोशल मीडिया का अंधकार: देवास के ग्रामीण क्षेत्र के युवकों के झांसे में फंस कर उत्तर प्रदेश से दो लड़कियां भाग कर देवास आई

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देवास लाइव: सोशल मीडिया का प्रभाव आज हमारे समाज के ताने-बाने को तेजी से बिगाड़ रहा है। इंस्टाग्राम और स्नैपचैट जैसी सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स के जरिये कई लोग आभासी प्रेम के जाल में फंस रहे हैं, जिससे उनके रिश्ते बिखर रहे हैं। हाल ही में देवास जिले में ऐसे ही दो मामले सामने आए हैं जो इस समस्या की गंभीरता को उजागर करते हैं।

पहला मामला: बुलंदशहर से देवास तक का आभासी प्रेम
सोनकच्छ के घिचलाय गांव के एक युवक ने स्नैपचैट पर बुलंदशहर की एक युवती से दोस्ती की। तीन महीनों के आभासी संवाद के बाद, युवती प्रेम के झांसे में आकर देवास आ गई। युवक ने जब युवती को बिना फिल्टर के वास्तविकता में देखा तो उसने उसकी त्वचा के रंग के आधार पर शादी से इंकार कर दिया। निराश और ठगी हुई युवती ने सोनकच्छ थाने में शरण ली, जहां से पुलिस ने उसके परिजनों को बुलाकर उसे सौंप दिया। यह घटना सोशल मीडिया पर आभासी प्रेम के खतरों को बखूबी दर्शाती है।

दूसरा मामला: शादीशुदा महिला का प्रेम जाल
दूसरे मामले में, देवास के जामगोद के एक युवक ने इंस्टाग्राम के माध्यम से उत्तर प्रदेश के बांदा की एक शादीशुदा महिला से संपर्क किया। महिला अपने बच्चे के साथ भागकर युवक के पास आ गई और उसके साथ रहने लगी। जब महिला का पति देवास पहुंचा, तो उसने हंगामा कर दिया और मामला कोतवाली थाने पहुंच गया। महिला ने साफ कहा कि वह अब अपने पति के साथ नहीं रहेगी और जामगोद का युवक ही उसका नया पति है। महिला का निराश पति अब सिर्फ यह चाहता है कि उसकी छोटी सी बच्ची उसे दे दी जाए। उसका कहना है की मजदूरी करके मैंने अपनी पत्नी के दिल का इलाज कराया लेकिन पत्नी ने उसी का दिल तोड़ दिया। यह घटना बताती है कि किस तरह सोशल मीडिया ने एक परिवार को बर्बादी के कगार पर ला दिया।

सोशल मीडिया का दुष्प्रभाव
सोशल मीडिया आजकल हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है, लेकिन इसके दुष्प्रभाव भी कम नहीं हैं। आभासी दुनिया में लोग फिल्टर और आकर्षक प्रोफाइल्स के जरिए एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं, लेकिन वास्तविक जीवन में यह संबंध अक्सर टिक नहीं पाते। आभासी प्रेम के झांसे में आकर लोग अपने घर, परिवार और रिश्तों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

सोशल मीडिया पर लोगों का आभासी प्रेम वास्तविक जीवन में आते ही टूट जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं:
1. अवास्तविक उम्मीदें: सोशल मीडिया पर लोग अपने सर्वश्रेष्ठ रूप को प्रदर्शित करते हैं, जिससे उनके साथी की अवास्तविक उम्मीदें पैदा हो जाती हैं। वास्तविक जीवन में ये उम्मीदें पूरी नहीं हो पातीं और निराशा होती है।
2. फिल्टर और संपादन: इंस्टाग्राम और स्नैपचैट जैसे प्लेटफार्म्स पर फोटो फिल्टर और संपादन के माध्यम से लोग अपनी तस्वीरों को सुधारते हैं। वास्तविकता में जब वे मिलते हैं, तो यह आभासी छवि और वास्तविक छवि में बड़ा अंतर होता है।
3. भावनात्मक अस्थिरता: आभासी दुनिया में भावनात्मक संबंध आसानी से बन जाते हैं, लेकिन ये अक्सर गहरे नहीं होते। वास्तविक जीवन की समस्याएं और चुनौतियाँ इन संबंधों को कमजोर कर देती हैं।

सुझाव और उपाय
1. सावधानीपूर्वक उपयोग: सोशल मीडिया का उपयोग समझदारी से करें और आभासी दुनिया को वास्तविक जीवन का स्थान न दें।
2. सच्चाई का मूल्यांकन: किसी भी व्यक्ति से ऑनलाइन मिलते समय उसकी वास्तविकता की जांच करें और उसे जानने का समय लें।
3. परिवार और मित्रों का समर्थन: किसी भी आभासी संबंध को वास्तविक बनाने से पहले परिवार और मित्रों की सलाह लें।
4. आत्म-जागरूकता: खुद को सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों से बचाने के लिए आत्म-जागरूकता बनाए रखें और वास्तविक जीवन में मजबूत संबंध बनाने पर ध्यान दें।

सोशल मीडिया का संतुलित और सावधानीपूर्वक उपयोग आवश्यक है। हमें यह समझना होगा कि आभासी दुनिया वास्तविक जीवन का स्थान नहीं ले सकती। अतः, सोशल मीडिया पर बनने वाले संबंधों को गंभीरता से लेने से पहले उनके वास्तविकता पर आधारित होने की पुष्टि करनी चाहिए। इससे समाज के ताने-बाने को बचाया जा सकता है और रिश्तों को बिखरने से रोका जा सकता है।

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