देवास। देवास में शराब बिक्री को लेकर प्राइस वॉर चल रहा है। सभी को पता है कि देवास में सिंडिकेट बनाकर दो ठेकेदार शहर में महंगी शराब बेच रहे हैं। इसी का लाभ उठाने के लिए ग्रामीण क्षेत्र के कई ठेकेदार शहर में सस्ती शराब डंप कर रहे हैं। देवास के ठेकेदार अपने मुखबिर तंत्र की मदद से इनका पता लगवाते हैं और पुलिस को पैसा देकर उनकी गाड़ी पकड़वाकर केस बनवाते हैं।
नाहर दरवाजा थाना पुलिस ने बुधवार को शराब की तस्करी कर रही एक कार का पीछा किया और शहर भर में दौड़ी कार को आखिरकार राजौदा रोड पर धरदबोचा। पुलिस ने इस कार में रखी 24 पेटी देशी शराब, 10 पेटी देशी मसाला व 3 पेटी बियर कुल 37 पेटी जब्त करने के साथ ही दो आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने इनके खिलाफ आबकारी एक्ट की धारा 34/2 के तहत प्रकरण दर्ज किया है।
मुखबिर की सूचना पर हुई कार्रवाई
नाहर दरवाजा थाना पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार सुबह करीब साढ़े 9 बजे मुखबिर ने सूचना दी कि एक बगैर नंबर की ब्रेजा कार, टोंकखुर्द, सोनकच्छ, भौंरासा से बड़ी मात्रा में शराब की पेटियां रखकर भोपाल रोड से देवास की ओर आ रही है। चूंकि सूचना पुख्ता थी, लिहाजा नाहर दरवाजा थाना पुलिस ने भोपाल चौराहा पर कार की घेराबंदी कर ली। पुलिस को देखकर कार चालक ने वाहन रोकने के बजाय और गति तेज करते हुए भवानी सागर, नयापुरा, नाहर दरवाजा होते हुए राजौदा रोड की तरफ तेज गति से भगा ली। पुलिस कर्मियों ने फुर्ती दिखाते हुए कार में सवार दो युवक शुभम उर्फ लड्डू पिता महेश योगी (18 वर्ष, निवासी नाथ मोहल्ला) और एक नाबालिग को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने जब कार की तलाशी ली तो उसमें 24 पेटी देशी शराब, 10 पेटी देशी मसाला शराब और 3 पेटी बियर मिली। कार से कुल 37 पेटी शराब जब्त की गई, जिनकी कीमत डेढ़ लाख रुपये बताई गई है। वहीं कार की कीमत 6 लाख रुपये आंकी गई है।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
पुलिस ने इस मामले में शुभम, एक नाबालिग और कार मालिक भीम उर्फ विपुल पिता जयसिंह धारू (निवासी बैंक ऑफ इंडिया के पास एबी रोड) के खिलाफ आबकारी एक्ट की धारा 34-2 के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है। हालांकि, पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। यह मामला पुलिस की कार्यशैली और भ्रष्टाचार पर गंभीर सवाल खड़े करता है। मुखबिरों की मदद से जानकारी इकट्ठा करना एक बात है, लेकिन पुलिस पर ठेकेदारों के इशारों पर काम करने और पैसों के बदले कार्रवाइयों को अंजाम देने के आरोप गंभीर हैं। इससे न केवल कानून-व्यवस्था पर असर पड़ता है बल्कि पुलिस की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े होते हैं।
ऐसे मामलों में पुलिस की भूमिका और उनकी कार्रवाई की पारदर्शिता सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। पुलिस को चाहिए कि वे निष्पक्षता से कार्य करें और कानून के तहत ही सभी कार्रवाई करें, जिससे जनता का विश्वास पुलिस पर बना रहे।