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देवास की जिला आबकारी अधिकारी मंदाकिनी दीक्षित की कार्यप्रणाली पर सवाल: अवैध शराब बिक्री में शामिल हैं अधिकारी?

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देवास। जब से मंदाकिनी दीक्षित ने जिला आबकारी अधिकारी का पद संभाला है, तब से देवास में शराब माफिया पूरी तरह से बेलगाम हो चुका है। शराब ठेकेदारों की मनमानी हो या गली-गली में अवैध शराब की बिक्री, ऐसा लगता है कि आबकारी विभाग के अधिकारी खुद इस धंधे का हिस्सा बन चुके हैं। ओवररेटिंग की शिकायतें महीनों से आ रही थीं, लेकिन कार्यवाही तब हुई जब मामला प्रदेश के आबकारी कमिश्नर अभिजीत अग्रवाल और तत्कालीन कलेक्टर ऋषभ गुप्ता तक पहुंचा। इससे साफ है कि मंदाकिनी दीक्षित और उनके विभाग ने शराब माफियाओं को खुली छूट दे रखी थी।

देवास को “दारू नगरी” बना चुके अधिकारी

देवास में आज हर गली-मोहल्ले में अवैध शराब बिक रही है। सूत्रों के अनुसार, आबकारी विभाग के ही कुछ अधिकारी इस धंधे में सीधे तौर पर शामिल हैं। मंदाकिनी दीक्षित की नाक के नीचे यह गैरकानूनी कारोबार चल रहा है, लेकिन उन्होंने कभी इसे रोकने की कोशिश नहीं की। इससे स्पष्ट है कि इस खेल में विभाग की मिलीभगत है। यदि यह कहा जाए कि मंदाकिनी दीक्षित अब तक की सबसे भ्रष्ट और नाकारा अधिकारी साबित हुई हैं, तो गलत नहीं होगा।

प्रेम यादव का क्या है रोल?

सूत्रों की मानें तो आबकारी सब इंस्पेक्टर प्रेम यादव मंदाकिनी दीक्षित के सबसे खास हैं। शराब ठेकेदारों से सांठगांठ हो या अवैध शराब बिक्री का नेटवर्क – प्रेम यादव इस पूरे खेल में एजेंट की तरह काम कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि उनकी इस काली कमाई में विभाग के बड़े अधिकारियों की भी हिस्सेदारी है। सवाल यह उठता है कि आखिर सरकार कब तक ऐसे भ्रष्ट अफसरों को संरक्षण देती रहेगी?

कमिश्नर-कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद दिखी हरकत

जब ओवररेटिंग की शिकायतें हद से ज्यादा बढ़ गईं और मामला ग्वालियर स्थित आबकारी कमिश्नर अभिजीत अग्रवाल और कलेक्टर ऋषभ गुप्ता तक पहुंचा, तब जाकर आबकारी विभाग को कार्रवाई करनी पड़ी। शहर की 5 शराब दुकानों – बावड़िया, नावेल्टी, मक्सी रोड, खातेगांव और हरणगांव पर कार्रवाई कर एक दिन के लिए लाइसेंस निलंबित किया गया और ठेकेदारों पर मात्र 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। यह कार्रवाई ऊंट के मुंह में जीरे के समान थी, क्योंकि जिस ठेकेदार ने लाखों की ओवररेटिंग से कमाई की, उसे महज 10 हजार रुपये में छोड़ दिया गया।

क्या सरकार ऐसे भ्रष्ट अफसरों से निजात पाएगी?

सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह ऐसे नकारा और भ्रष्ट अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करे। मंदाकिनी दीक्षित और उनके खासमखास अधिकारियों ने देवास को “दारू नगरी” बना दिया है। यदि सरकार और प्रशासन सच में अवैध शराब माफिया पर नकेल कसना चाहता है, तो सबसे पहले आबकारी विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई करनी होगी। नहीं तो देवास के आम नागरिकों को शराब माफियाओं के इस जाल में फंसने से कोई नहीं रोक सकता।

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