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सफेद चावल की दलाली में कईयों के हाथ काले, गरीबों को सरकारी चावल नहीं भाया तो बेच दिया, पहुंच जाता है कुरकुरे बनाने वाली फैक्ट्री

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देवास लाइव। मध्यप्रदेश में सार्वजनिक वितरण के तहत दिए जाने वाले अनाज में चावल की मात्रा गेहूं से भी ज्यादा दी जा रही है। बताया जा रहा है चावल खाने काबिल भी नहीं है। इस वजह से एक नए तरह का रोजगार पैदा हो गया है।

लोडिंग ऑटो, ठेलों पर छोटे व्यापारी मोहल्ले मोहल्ले घूम कर पीडीएस का चावल लोगों से सस्ती दरों पर खरीदते हैं। खुदरा में खरीदे गए यह चावल दो नंबर का काम करने वाले बड़े व्यापारी खरीद कर गोदाम में एकत्रित करते हैं और फिर गुजरात की तरफ कुरकुरे जैसे प्रोडक्ट बनाने वाली फैक्ट्रियों में ट्रक के माध्यम से भेज दिए जाते हैं। यानी सरकार द्वारा फ्री में बांटा जाने वाला सरकारी चावल अब गरीबों के पेट में न जाते हुए फैक्ट्रियों में कुरकुरे बनाने के काम आता है।

इस पूरी प्रक्रिया के दौरान कई तरह के दलालों के माध्यम से यह चावल फैक्ट्रियों तक पहुंचता है। सूत्रों के अनुसार देवास जिले में कुछ दलाल इन ट्रकों को देवास जिले की सीमा पार करवाने का ठेका लेते हैं। इसके एवज में उन्हें मोटी रकम मिलती है। अगर कोई व्यापारी इन्हें पैसे ना दे तो फिर ट्रक का पीछा कर जिम्मेदारों को खुद को पत्रकार बता कर फोन लगाकर शिकायत की जाती है और ट्रक को पकड़वा दिया जाता है। ट्रक पकड़े जाने के बाद चोर और पुलिस का भी खेल हो जाता है। यह दलाल अपने आप को बचाने के लिए छोटे-मोटे अखबार की एजेंसी लेकर खुद को पत्रकार भी बताते हैं।

जनता के टैक्स के पैसे से सरकार पीडीएस सिस्टम चला रही है। लेकिन यह देखने की फुर्सत किसी में नहीं है कि वाकई में जनता को इतनी मात्रा में चावल देने के साइड इफेक्ट क्या हो रहे हैं। करोड़ों रुपए का चावल फैक्ट्रीयों में चला जाता है और बिचौलिए खूब मलाई काट रहे हैं।

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