देवासधर्म संकृति

देवास: श्री राम जवेरी मंदिर भूमि विवाद: 50 वर्षों से चल रही कानूनी लड़ाई की पूरी कहानी

देवास जिले के ग्राम बावडिया स्थित श्री राम जवेरी मंदिर की भूमि विवाद ने पिछले कई दशकों से कानूनी दाव-पेंचों में उलझे हुए कई सवाल खड़े किए हैं। यह भूमि महाराजा देवास जूनियर द्वारा श्री झवेरी राममंदिर (बजरंगपुरा मोहल्ला) के जीर्णोद्धार के लिए दी गई थी। इस संपत्ति के संदर्भ में भूमि विवाद और ट्रस्ट पंजीकरण के कई प्रकरण अदालतों में लंबित रहे हैं। जनता इस विवाद में उलझे कानूनी पहलुओं को लेकर चिंतित है, क्योंकि यह विवाद सरकार और ट्रस्टियों के बीच लंबे समय से चल रहा है।

मंदिर और भूमि का पृष्ठभूमि

महाराजा देवास जूनियर ने श्री जवेरी राम मंदिर के जीर्णोद्धार हेतु ग्राम बावडिया में कुल 12.07 एकड़ कृषि माफी भूमि, सर्वे नंबर 54, 56, 57, 58, 59, और 60 को मंदिर के नाम पर दान किया था। यह जमीन बंजरगपुरा मोहल्ला, देवास में स्थित श्री राम जवेरी मंदिर के तहत थी। राजस्व अभिलेखों में यह भूमि शासन की संपत्ति के रूप में दर्ज हुई, जिसका प्रबंधक कलेक्टर देवास था। साथ ही, श्री लक्ष्मीनारायण – मोहनलाल झवेरी को मंदिर के पुजारी के रूप में मान्यता दी गई थी।

विवाद की शुरुआत: ट्रस्ट का पंजीकरण

1972-73 में मुकुटराव आनंदराव और सुखदेवराव मुकुदराव ने एक आवेदन के माध्यम से दावा किया कि उक्त भूमि और संपत्तियां श्री राम मंदिर ट्रस्ट देवास के नाम पंजीकृत होनी चाहिए। इस मामले में अनुविभागीय अधिकारी देवास ने 22 दिसंबर 1976 को आदेश जारी कर मंदिर को ट्रस्ट के रूप में दर्ज करने का निर्देश दिया। आदेश में 25 बीघा भूमि ग्राम बावडिया और बजरंग नगर, देवास स्थित भवन क्रमांक 194, 195 को संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया, जिसका वार्षिक आय 5000 रुपये भी पंजीकृत की गई थी।

अपील और न्यायालयी निर्णय

इस पंजीकरण को लेकर विवाद तब और बढ़ गया जब रामचंद्र राव के वारिस श्रीकांत आदि ने 1998 में इस आदेश के खिलाफ अपर जिला न्यायाधीश के समक्ष एक मुकदमा दायर किया। सिविल वाद क्रमांक 13 ए / 1998 में अदालत ने 1 अप्रैल 1999 को आदेश पारित करते हुए पंजीकरण के आदेश को सही ठहराया और ट्रस्ट संपत्तियों की पुष्टि कर उसे रजिस्टर में दर्ज करने का निर्देश दिया। हालांकि, पुजारी श्री लक्ष्मीनारायण झवेरी को ट्रस्टी घोषित किए जाने के खिलाफ किया गया दावा निरस्त कर दिया गया।

भूमि का विक्रय और बाद का विवाद

वर्ष 1982 से 1985 तक यह भूमि कलेक्टर देवास के नाम पर दर्ज रही। 18 दिसंबर 1979 को रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट देवास ने लोक न्यास अधिनियम 1951 की धारा 14 और नियम 9 के तहत इन भूमि के विक्रय की अनुमति दी। इसके बाद बावडिया की भूमि को बेचा गया, और इसका क्रय-विक्रय किया गया, जिससे विवाद पैदा हुआ।

वर्ष 2011-12 में फिर से इस विक्रय के खिलाफ शिकायत की गई कि उक्त भूमि महाराजा देवास जूनियर द्वारा मंदिर को माफी लगान मुक्त प्रदान की गई थी और इसे बेचा नहीं जा सकता था। शिकायत में इस बात पर जोर दिया गया कि मंदिर रियासत काल से शासन द्वारा नियंत्रित किया गया था और इस भूमि का विक्रय अवैध था।

ट्रस्ट पंजीकरण रद्द

शिकायत के आधार पर तत्कालीन एस.डी.ओ. (उपखंड अधिकारी) देवास ने 30 जनवरी 2012 को आदेश जारी करते हुए ट्रस्ट का पंजीकरण रद्द कर दिया। इसके साथ ही, 18 दिसंबर 1979 को पारित आदेश स्वतः निरस्त हो गया। इस आदेश के अनुसार, तहसीलदार देवास को ट्रस्ट का प्रशासक नियुक्त किया गया।

अदालत में अपीलें और नवीनतम आदेश

एस.डी.ओ. के आदेश से प्रभावित होकर विभिन्‍न व्यक्तियों ने कई रिट याचिकाएं माननीय उच्च न्यायालय में दायर कीं, जिनमें रिट अपील क्रमांक 788/2018, 9/2012, 1029/2022, 1030/2022 और 60/2022 सम्मिलित थीं। माननीय उच्च न्यायालय ने 25 अगस्त 2023 को एक आदेश पारित करते हुए एस.डी.ओ. देवास द्वारा 30 जनवरी 2012 को दिए गए आदेश को सही ठहराया और ट्रस्ट का पंजीकरण रद्द किए जाने के फैसले को बरकरार रखा।

इस बीच, एक अन्य प्रकरण में प्रेस्टीज एजुकेशन सोसायटी ने रिट याचिका क्रमांक 1940/2012 में उच्च न्यायालय के समक्ष अपील की, जिसमें 31 जनवरी 2012 के ट्रस्ट पंजीकरण रद्दीकरण के आदेश को चुनौती दी गई। माननीय उच्च न्यायालय ने 27 फरवरी 2024 को आदेश जारी कर ट्रस्ट का पंजीकरण रद्द करने के फैसले को निरस्त किया और लोक न्यास अधिनियम की धारा 22 और 23 के तहत पुनः जांच का निर्देश दिया। इस आदेश के खिलाफ राज्य शासन ने रिट अपील क्रमांक 1563/2024 दायर की, जो अभी भी विचाराधीन है।

वर्तमान स्थिति

श्री राम जवेरी मंदिर की भूमि पर वर्षों से चल रहे विवाद और कानूनी लड़ाई के बावजूद मामला अब भी अधर में लटका हुआ है। देवास की जनता मंदिर की ऐतिहासिक संपत्ति और उसकी धार्मिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए इस विवाद के जल्द समाधान की उम्मीद कर रही है। हालांकि, न्यायालय के विभिन्न स्तरों पर अपीलें लंबित हैं और इस प्रकरण के समाधान में अभी समय लग सकता है।

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