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मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के कृषि विज्ञान केंद्रों की 27 भी जोनल कार्यशाला संपन्न

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कृषि विज्ञान केंद्रों (कृषि तकनीक के पावर हाउस ) 27 वी जोनल कार्यशाला का समापन समारोह केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण एवं ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुख्य आतिथ्य में हुआ। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी) जबलपुर द्वारा आयोजित इस तीन दिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि कृषकों का परिश्रम एवं कृषि वैज्ञानिकों के अनुसंधान के कारण हमारा देश कृषि क्षेत्र में एक उत्कृष्ट स्थान प्राप्त किया है। छत्तीसगढ़ जहां एक और धान का कटोरा है वही मध्यप्रदेश देश में दलहन एवं तिलहन के उत्पादन में अग्रणी भूमिका का निर्वाहन कर रहा है और लगातार 7 साल से कृषि कर्मण अवार्ड हासिल कर रहा है। आपने कहा की सभी कृषि विज्ञान केंद्रों में प्रतिस्पर्धा होना चाहिए ताकि कृषि के विकास के साथ देश और ऊंचाइयों पर पहुंचे। हमारे कृषि विज्ञान केंद्रों के अथक परिश्रम से ही काफी उपलब्धियां अर्जित हुई है । कृषि विज्ञान केंद्रों को क्षेत्र विशेष की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर समाज के लोगों एवं एनजीओ को जोड़ते हुए बेहतर काम करने की दिशा में सतत बढ़ना होगा श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के संकट में विजय प्राप्त करने की ताकत कृषि और ग्रामीण भारत के पास ही है। कोरोना संकट के दौरान तमाम प्रतिकूलताओं के बावजूद फसल कटाई का काम समय पर हुआ, ग्रीष्मकालीन फसलें भी बोई गई एवं उत्पादन भी बेहतर प्राप्त हुआ। देश के प्रधानमंत्री जी के “वोकल फॉर लोकल“ का नारा दिया वह मूलतः हमारे ग्रामीण व्यवस्था से ही जुड़ा है श्री तोमर ने जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बल देने की बात कही।
श्री तोमर ने कहा कि कोरोना संकट ने हम सब को अवसर दिया है किसानों के लिए सरकार ने री फार्म किए अब किसानों को मंडी जाना जरूरी नहीं फसल बेचने के लिए टैक्स भी नहीं देना है प्रधानमंत्री जी ने उन्हें कानूनी अधिकार देकर आजादी दे दी है 2 नए अध्यादेश जारी हुए हैं जिनके माध्यम से क्लस्टर खेती को बढ़ावा मिल रहा है केवीके को इसकी तैयारी करना चाहिए हर केवीके को क्षेत्र के अनुसार प्लानिंग के साथ कार्य को दिशा प्रदान करनी होगी आईसीएआर को पूरी योजना बनाना चाहिए उन्होंने खेती किसानी में ग्रामीण क्षेत्रों में निजी निवेश को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया सरकार द्वारा कानूनी बदलाव भारी-भरकम पैकेज ₹100000 करोड़ के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड सहित अन्य पैकेज घोषित कर दिए गए हैं अब इन के माध्यम से निजी निवेश बढ़ने वाला है यह पूरा पैसा आत्मनिर्भर भारत बनाने में मदद करेगा 1,00000 नए एफपीओ को भी गाइडलाइन बन गई है जिन्हें बुवाई से लेकर विपणन तक के लिए संपूर्ण आर्थिक सहायता केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी। इस कार्य में ज्यादा से ज्यादा छोटे किसानों को जोड़ा जाना चाहिए।
केवीके के 27 वी जोनल कार्यशाला में कृषि विज्ञान केन्द्र, देवास के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ ए.के. दीक्षित ने देवास जिले के कृषकों की आय दोगुनी करने, क्लस्टर प्रदर्षन, सीड हब परियोजना के साथ साथ केन्द्र के विभिन्न गतिविधियों का प्रस्तुतीकरण किया। इस अवसर पर केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ निषिथ गुप्ता, डॉ के.एस. भार्गव, डॉ महेन्द्र सिंह एवं डॉ सविता कुमारी भी उपस्थित थे।
इस दौरान आईसीएआर के महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्र , उप महानिदेशक कृषि प्रसार डॉ अशोक कुमार सिंह, कृषि एवं कृषि चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति , आईसीएआर अटारी के समस्त निदेशक एवं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सम्मिलित हुए। तीन दिवसीय जोनल कार्यशाला में कुल 10 तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया जिसके अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से किए जा रहे कृषि के विकास एवं उत्थान हेतु एवं कार्यों का समीक्षा एवं भविष्य की रणनीति पर मंथन किया गया जो आगामी समय में देश को आत्मनिर्भर भारत एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ एवं विकास की दिशा में ले जाने में मील का पत्थर साबित होगी।

 

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