देवास, 27 सितंबर 2025: मध्य प्रदेश के देवास शहर में एक चौंकाने वाला प्रॉपर्टी घोटाला सामने आया है, जिसमें आरोपी आनंद देवकर और उनकी पत्नी रूपाली देवकर ने फर्जी डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) और बैंक नीलामी की संपत्तियों को दिलवाने के नाम पर करीब 9 लोगों से कथित तौर पर 15 से 20 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की। मामले में और भी ठगे गए फरियादी सामने आ सकते हैं।
कुछ दिन पहले सिमरोल के पास आनंद की कार और मोबाइल लावारिस हालत में मिले, लेकिन आरोपी का कोई सुराग नहीं है। पुलिस को शक है कि यह गिरफ्तारी से बचने का स्वांग हो सकता है। फरियादी अश्विन यादव की शिकायत पर पुलिस ने धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेजों की धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
15 साल का भरोसा टूटा: अश्विन यादव की आपबीती
देवास निवासी और श्रम अधिवक्ता अश्विन यादव ने थाने में शिकायत दर्ज की, जिसमें बताया कि वे 15 साल से आनंद देवकर को जानते हैं। आनंद स्टाफ वेंडर का काम करता है और उसकी फर्म ‘इंदौर टोटल सॉल्यूशन’ व ‘इंदौर टोटल सॉल्यूशन एलएलपी’ के नाम से रजिस्टर्ड है, जिसमें उसकी पत्नी रूपाली पार्टनर है। 20 सितंबर 2025 को अश्विन को एचडीएफसी बैंक, इंदौर से अपने घर को बंधक रखकर 35 लाख रुपये का लोन मिला। इस खुशी में वे उसी दिन दोपहर 4 बजे आनंद के मुखर्जी नगर स्थित घर गए।
वहां आनंद और रूपाली ने लोन की राशि को बिजनेस में निवेश करने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि रूपाली के पिता अनिल नलगे मुंबई में प्रॉपर्टी का काम करते हैं और उनके पास बैंक नीलामी की कई संपत्तियां हैं। आनंद ने अपने मोबाइल पर संपत्तियों के फोटो और वीडियो दिखाए। विश्वास में आकर अश्विन ने मुंबई के साकीनाका में कथित 150 फ्लैट्स में निवेश का फैसला किया। आनंद ने सुझाव दिया कि एक भागीदारी फर्म बनाकर उनकी फर्म के जरिए शॉर्ट टर्म निवेश करें, जिससे ज्यादा मुनाफा होगा।
16 लाख 53 हजार की ठगी, फर्जी डीडी का जाल
आनंद ने अपनी फर्म के एयू बैंक खाते में 4-5 बार में अश्विन से 16 लाख 53 हजार रुपये ट्रांसफर करवाए। इसके बाद और निवेश का दबाव बनाया। आनंद ने अश्विन के मोबाइल नंबर पर अपने नंबर से 7 डीडी (4 एयू बैंक और 3 आईसीआईसीआई बैंक) व्हाट्सऐप किए, साथ ही बैंक का सेल लेटर भी भेजा। आनंद ने दावा किया कि इन पैसों से नीलामी में प्रॉपर्टी खरीदी गई है।
जब अश्विन ने मुनाफे के बारे में पूछा, तो आनंद टालमटोल करने लगा। शक होने पर अश्विन ने डीडी के प्रिंटआउट निकाले और एयू बैंक, देवास में जांच की, जहां सभी डीडी फर्जी निकले। गुस्से में वे आनंद के घर गए, लेकिन वह नहीं मिला। रूपाली ने कहा कि उनके पिता मुंबई में प्रॉपर्टी बेचकर पैसे लौटाएंगे, लेकिन कोई भुगतान नहीं हुआ।
15 करोड़ से ज्यादा का घोटाला
आनंद ने अपने बैंक खाते में जमा दिखाकर पीड़ितों को ठगा। अनुमान के अनुसार, वास्तविक ठगी की राशि 15 करोड़ रुपये से अधिक है। आनंद और रूपाली ने 8 अन्य लोगों के साथ भी ऐसी ही ठगी की, जिनसे नकद और बैंक ट्रांसफर के जरिए रकम ऐंठी गई। फर्जी डीडी और नीलामी संपत्तियों का झांसा देकर लोगों को फर्म में पार्टनरशिप का लालच दिया गया। अन्य पीड़ितों के नाम हैं:
- पप्पू पिता विष्णु चौधरी, निवासी: मेढकीचक
- सुनिल पिता गोपाल चौधरी, निवासी: मेढकीचक
- विनोद पिता ब्रदीलाल पटेल, निवासी: आवास नगर
- सोहन पिता विक्रम चौधरी, निवासी: मेढकीचक
- दीपक पिता घनश्याम बोरले, निवासी: आदर्श कालोनी, देवास
- चंदन पिता रामचरण गुप्ता, निवासी: मुखर्जी नगर
- संजीव पिता राधेश्याम चौहान, निवासी: कृष्णपुरा, देवास
- अमरिश पिता कमल यादव, निवासी: बजरंग नगर
- हेमंत पिता ओंकारलाल पांचाल, निवासी: ग्राम बीलावली, देवास
लावारिस कार और मोबाइल: फरार होने का नाटक?
मामले को और रहस्यमय बनाते हुए, कुछ दिन पहले सिमरोल के पास आनंद की कार और मोबाइल फोन लावारिस हालत में बरामद हुए, लेकिन आनंद का कोई पता नहीं चला। पुलिस को शक है कि ठगी के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए आनंद ने यह नाटक रचा हो सकता है। कार और मोबाइल की जांच जारी है, लेकिन इसमें कोई हिंसा या दुर्घटना के निशान नहीं मिले।
पुलिस कार्रवाई शुरू
देवास पुलिस ने अश्विन की शिकायत पर धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेजों की धाराओं में मामला दर्ज किया है। आनंद देवकर की तलाश जारी है, जबकि उसकी पत्नी रूपाली को हिरासत में लिया गया है। पुलिस ने व्हाट्सऐप चैट, डीडी स्कैन और बैंक स्टेटमेंट जब्त कर लिए हैं। जांच में फर्म की वैधता और मुंबई में अनिल नलगे की भूमिका की पड़ताल की जा रही है।


