देवास

जिला अस्पताल की लापरवाही से नवजात की मौत: स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल



देवास लाइव। गुरुवार सुबह जिला अस्पताल में एक नवजात की इलाज के दौरान मौत हो गई, जिसने अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बच्चे के पिता सनी गेहलोत ने अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं, और इस घटना ने अस्पताल की कार्यप्रणाली और नैतिकता पर गंभीर चिंताएं उत्पन्न की हैं।

घटना का विवरण

सनी गेहलोत ने बताया कि उनकी पत्नी सविता गेहलोत को प्रसव के लिए जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था। 3 जून की रात को उनकी पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया, जिसे तुरंत एसएनसीयू (विशेष नवजात देखभाल इकाई) में भर्ती कर लिया गया। हालांकि, परिजनों को बच्चे से मिलने नहीं दिया गया। 6 जून की सुबह बच्चे की मौत हो गई। बच्चे के सिर पर चोट के निशान भी पाए गए, जिसे डॉक्टरों ने परिजनों से छुपाया।

लापरवाही और आर्थिक शोषण के आरोप

बच्चे के पिता ने आरोप लगाया कि ड्यूटी पर तैनात स्टाफ ने उन्हें बच्चे के पास नहीं जाने दिया और कहा गया कि बच्चे को ऑक्सीजन की कमी हो रही है। बाद में बताया गया कि बच्चे की हार्टबीट कम हो गई है। जब बच्चे को कपड़े पहनाए गए, तब उसके सिर पर औजार के निशान मिले। यह निशान लापरवाही की ओर इशारा करते हैं।

इसके अलावा, बच्चे के पिता ने बताया कि ऑपरेशन के लिए 15 हजार रुपए की मांग की गई थी, जिसके बाद उन्होंने स्टाफ को 7 हजार रुपए दिए। यह आरोप दर्शाते हैं कि अस्पताल में प्रसव के नाम पर आर्थिक शोषण किया जा रहा है, और इसके बावजूद लापरवाही के कारण नवजात बच्चों की मौत हो रही है।

एसएनसीयू के डॉक्टर अनूप जैन ने बताया कि बच्चे की मौत चोट लगने से नहीं हुई है। उनका कहना है कि बच्चा देर से रोया था और उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, जिसके बाद उसे एसएनसीयू में भर्ती किया गया और वेंटीलेटर पर रखा गया। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे की हालत पहले से ही गंभीर थी।

यह घटना अस्पताल की कार्यप्रणाली और नैतिकता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। एक तरफ आर्थिक शोषण और दूसरी तरफ चिकित्सा लापरवाही ने नवजात की जान ले ली। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को इस मामले की गहन जांच करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।

Sneha
san thome school
Show More
Back to top button