कृषि विज्ञान केन्द्र देवास के वैज्ञानिकों ने दी लहसुन की फसल में थ्रिप्स कीट एवं चना फसल में कोलर रॉट की रोकथाम के लिए कृषकों को सलाह
देवास लाइव। जिले में वर्तमान में चना व लहसुन फसल में रोग एवं कीटव्याधि का प्रकोप होने संबंधी जानकारी प्राप्त हो रही है, जिसको ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा 05 जनवरी 2021 को सोनकच्छ विकासखण्ड के लोंदिया, घिचलाय, बावडि़या, लकुमड़ी, साधुखेड़ी, टुगनी, कुम्हारिया बनवीर ग्रामों के कृषकों के खेतों में लहसुन व चना फसल फसल का निरीक्षण किया। डायग्नोस्टिक टीम में डॉ. अशोक कुमार दीक्षित, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डॉ. निशिथ गुप्ता, उद्यानिकी वैज्ञानिक एवं डॉ मनीष कुमार, कीट वैज्ञानिक श्री परमानंद सेन, ग्रामीण उद्यानिकी विस्तार अधिकारी श्री पी.एस.मालवीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी एवं कृषक शामिल थे। टीम द्वारा लहसुन की फसल में कुछ स्थानों पर थ्रिप्स कीट की समस्या तथा चना फसल में फफूंद जनित रोग कॉलर रॉट नामक बीमारी का प्रकोप देखा गया। जिले के परिदृश्य में गेहूं, चना, प्याज व लहसुन की फसल की स्थिति संतोषजनक पाई गई।
कृषि विज्ञान केन्द्र देवास के वैज्ञानिकों द्वारा कृषकों को सलाह दी गई कि लहसुन की फसल में थ्रिप्स कीट के प्रकोप एवं चना फसल में फफूंदजनित कॉलर रॉट बीमारी से प्रभावित होने की स्थिति में स्पाइनोसेट 150 एम.एल., मैंकोजेब+कार्बेन्डाजिम 1.25 कि.ग्रा., स्ट्रेप्टोसाईक्लिन 50 ग्राम 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। थ्रिप्स का कम प्रभाव होने की स्थिति में फिप्रोनील 650 मिली., मैंकोजेब+कार्बेन्डाजिम 1.25 कि.ग्रा., स्ट्रेप्टोसाईक्लिन 50 ग्राम 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। फसल ज्यादा पीली होने की स्थिति में पोटेशियम सल्फेट (0:0:50) 2 किग्रा. या मैग्नेशियम सल्फेट 1.5 किग्रा. 500 लीटर पानी के हिसाब से मिश्रिम करें। चना फसल में कॉलर रॉट के नियंत्रण हेतु कार्बेन्डाजिम 1.5 किग्रा. 500 लीटर पानी के साथ घोलकर जड़ों में डालें।