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देवास के नगर निगम क्षेत्र में ग्रीन पटाखों के अलावा अन्य पटाखों के विक्रय और उपयोग पर पाबंदी, जानिए ग्रीन श्रेणी के पटाखे क्या होते हैं

देवास लाइव। कलेक्टर श्री चंद्रमौली शुक्ला ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण ( NGT ) नई दिल्ली एवं मध्यप्रदेश शासन गृह विभाग के आदेशानुसार जिला दंडाधिकारी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के अंतर्गत दिनांक 11 नवम्बर 2020 से 01 दिसम्बर 2020 की मध्यरात्रि तक ” सम्पूर्ण नगर पालिका निगम देवास के क्षेत्रांर्तगत ” के अंर्तगत ग्रीन श्रेणी के पटाखों के अतिरिक्त अन्य समस्त प्रकार के पटाखो का विक्रय एवं उपयोग पर अस्थायी प्रतिबंध लगाया है। उपरोक्त अवधि में नगर पालिका निगम देवास के अंर्तगत ग्रीन श्रेणी के पटाखों के अतिरिक्त अन्य समस्त प्रकार के पटाखा विक्रय हेतु स्वीकृति समस्त स्थायी एवं अस्थायी अनुज्ञप्तियां निलंबित रहेगी । यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा एवं उक्त आदेश के उल्लंघन पर कार्रवाई की जाएगी।

ग्रीन पटाखे होते क्या हैं?
ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज़ में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं, लेकिन इनसे प्रदूषण कम होता है।

सामान्य पटाखों की तुलना में इन्हें जलाने पर 40 से 50 फ़ीसदी तक कम हानिकारण गैस पैदा होते हैं। सामान्य पटाखों के जलाने से भारी मात्रा में नाइट्रोजन और सल्फ़र गैस निकलती है।

ग्रीन पटाखों में इस्तेमाल होने वाले मसाले बहुत हद तक सामान्य पटाखों से अलग होते हैं। नीरी ने कुछ ऐसे फ़ॉर्मूले बनाए हैं जो हानिकारक गैस कम पैदा करेंगे.

कैसे-कैसे ग्रीन पटाखे

नीरी ने चार तरह के ग्रीन पटाखे बनाए हैं।

पानी पैदा करने वाले पटाखेः ये पटाखे जलने के बाद पानी के कण पैदा करेंगे, जिसमें सल्फ़र और नाइट्रोजन के कण घुल जाएंगे। नीरी ने इन्हें सेफ़ वाटर रिलीज़र का नाम दिया है। पानी प्रदूषण को कम करने का बेहतर तरीका माना जाता है। पिछले साल दिल्ली के कई इलाक़ों में प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर पानी के छिड़काव की बात कही जा रही थी।

सल्फ़र और नाइट्रोजन कम पैदा करने वाले पटाखेः नीरी ने इन पटाखों को STAR क्रैकर का नाम दिया है, यानी सेफ़ थर्माइट क्रैकर। इनमें ऑक्सीडाइज़िंग एजेंट का उपयोग होता है जिससे जलने के बाद सल्फ़र और नाइट्रोजन कम मात्रा में पैदा होते हैं। इसके लिए ख़ास तरह के केमिकल का इस्तेमाल होता है।

कम एल्यूमीनियम का इस्तेमालः इस पटाखे में सामान्य पटाखों की तुलना में 50 से 60 फ़ीसदी तक कम एल्यूमीनियम का इस्तेमाल होता है। इसे संस्थान ने सेफ़ मिनिमल एल्यूमीनियम यानी SAFAL का नाम दिया है।

अरोमा क्रैकर्सः इन पटाखों को जलाने से न सिर्फ़ हानिकारण गैस कम पैदा होगी बल्कि ये बेहतर खुशबू भी बिखेरेंगे।

Sneha
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