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देवास पुलिस ने “ऑपरेशन सायबर” में तोड़ा डिजिटल अरेस्ट गिरोह का जाल, 6 ठग गिरफ्तार, 20 लाख की ठगी का खुलासा

देवास: मध्य प्रदेश के देवास जिले में पुलिस ने सायबर अपराध के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई करते हुए “ऑपरेशन सायबर” के तहत डिजिटल अरेस्ट के जरिए ठगी करने वाले एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस कार्रवाई में दिल्ली, इंदौर और महाराष्ट्र से 6 शातिर ठगों को गिरफ्तार किया गया है, जिन्होंने सतवास के एक सेवानिवृत्त व्यक्ति से 20,81,382 रुपये की ठगी की थी। पुलिस ने आरोपियों से 10 मोबाइल, एक लैपटॉप, एक टैबलेट, चार एटीएम कार्ड, एक पासबुक और 11,61,956 रुपये की राशि होल्ड करवाई है।

ऑपरेशन सायबर: सायबर अपराध के खिलाफ देवास पुलिस की पहल

देवास पुलिस अधीक्षक श्री पुनीत गेहलोद ने जिले में सायबर फ्रॉड से आम लोगों को बचाने के लिए “ऑपरेशन सायबर” शुरू किया है। इस अभियान के तहत जिला सायबर सेल के माध्यम से प्रत्येक थाने पर दो-दो पुलिसकर्मियों को “सायबर मित्र” के रूप में प्रशिक्षित किया गया है, जो सायबर फ्रॉड के मामलों में त्वरित कार्रवाई करते हैं। इसके अलावा, थाना स्तर पर प्रतिदिन “पुलिस चौपाल” का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें ग्रामीणों और शहरी नागरिकों को सायबर ठगी से बचने के उपाय और शिकायत दर्ज करने के लिए 1930 या 100 नंबर पर संपर्क करने की सलाह दी जा रही है।

ठगी का मामला: डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर लूटी रकम

27 जून 2025 को सतवास निवासी प्रमोद गौर ने सायबर सेल में शिकायत दर्ज की कि उनके साथ 20,81,382 रुपये की ठगी हुई है। शिकायत के अनुसार, 24 जून 2025 को दोपहर 3 बजे उनके पास एक फोन कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन का सीनियर पुलिस अधिकारी बताया। उसने प्रमोद को नरेश गोयल के साथ मनी लॉन्ड्रिंग केस में शामिल होने का झूठा आरोप लगाया और कहा कि उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का नोटिस जारी हुआ है।

आरोपियों ने व्हाट्सएप के जरिए फर्जी दस्तावेज भेजे और फिर वीडियो कॉल पर सीबीआई चीफ आकाश कुलहरि बनकर बात की। डर और धमकी के जरिए प्रमोद को डिजिटल अरेस्ट में रखा गया और उनके बैंक खातों से सुप्रीम कोर्ट के वेरिफिकेशन के नाम पर विभिन्न खातों में राशि ट्रांसफर करवाई गई।

पुलिस की कार्रवाई: तकनीकी साक्ष्यों से पकड़े गए ठग

पुलिस अधीक्षक पुनीत गेहलोद के मार्गदर्शन, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) श्रीमती सौम्या जैन के निर्देशन और अनुविभागीय अधिकारी कन्नौद श्री आदित्य तिवारी के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई। इस टीम ने तकनीकी साक्ष्यों का सूक्ष्मता से विश्लेषण किया और दिल्ली (एनसीआर), इंदौर (मध्य प्रदेश) और सांगली (महाराष्ट्र) से 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया।

गिरफ्तार आरोपियों के नाम हैं:

  1. सोमेश्वर उर्फ सैम, निवासी नजफगढ़, दिल्ली
  2. संजय उर्फ वैम्पायर, निवासी गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश
  3. गौरव उर्फ रितिक, निवासी नीमच, मध्य प्रदेश
  4. हर्ष उर्फ पीटर बॉस, निवासी इंदौर, मध्य प्रदेश
  5. ऋषिकेश, निवासी सांगली, महाराष्ट्र
  6. सुनील उर्फ सागर, निवासी सांगली, महाराष्ट्र

मोडस ऑपरेंडी: टेलीग्राम और फर्जी खातों का खेल

पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि यह गिरोह टेलीग्राम पर ग्रुप बनाकर अच्छा कमीशन देने का लालच देकर लोगों के बैंक खातों को किराए पर लेता था। इन खातों का उपयोग ठगी की राशि को इधर-उधर ट्रांसफर करने के लिए किया जाता था। तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने कई बैंक खातों की जांच की और 2100 किलोमीटर की दूरी तय कर दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र और इंदौर से आरोपियों को पकड़ा।

आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वे ठगी के लिए हवाई यात्रा का उपयोग करते थे। पुलिस को यह भी पता चला कि इनके खिलाफ देशभर में 37 अन्य मामलों में शिकायतें दर्ज हैं।

जब्त सामग्री और राशि

पुलिस ने आरोपियों से 10 मोबाइल, एक टैबलेट, एक लैपटॉप, एक पासबुक और चार एटीएम कार्ड जब्त किए हैं। इसके अलावा, 11,61,956 रुपये की राशि को होल्ड करवाया गया है, जिसे पीड़ितों को वापस दिलाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

सराहनीय प्रयास: पुलिस टीम की मेहनत

इस कार्रवाई में अनुविभागीय अधिकारी कन्नौद श्री आदित्य तिवारी, थाना प्रभारी सतवास श्री बी.डी. बीरा, सायबर सेल के उनि यश नाईक, प्र.आर. सचिन चोहान, शिवप्रताप सिंह सेंगर, योगेश कदम, युवराज सोलंकी, सोनू कुमार सिंह और म.आर. निशा पाटोरिया सहित अन्य पुलिसकर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

सायबर ठगी से बचाव के लिए सलाह

देवास पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे अनजान कॉल्स और व्हाट्सएप संदेशों पर भरोसा न करें। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत 1930 या www.cybercrime.gov.in पर दर्ज करें।

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