देवास लाइव। जवेरी श्रीराम मंदिर की विवादित भूमि को लेकर कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के सुर गुप्त बैठक के बाद बदलते नजर आए। देवास में शहर कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी और हारून शेख के साथ हुई इस गुप्त मुलाकात के बाद सिंह ने मंदिर ट्रस्ट पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि “जिन लोगों ने जमीन खरीदी है, उन्हें हटाने की मंशा नहीं है, लेकिन ट्रस्ट की ऑडिट होनी चाहिए और बिक्री की रकम का हिसाब मिलना चाहिए”
गुप्त बैठक और विवादित भूमि पर चर्चा
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की एक गुप्त बैठक में श्रीराम मंदिर की विवादित भूमि के मसले पर विस्तार से चर्चा की गई। इस बैठक में शामिल मनोज राजानी और हारून शेख के परिवारों की भी इस विवादित जमीन पर हिस्सेदारी है। इसके बाद, सिंह ने भूमि विवाद को लेकर प्रेस वार्ता की और ट्रस्ट की पारदर्शिता पर सवाल उठाए लेकिन मंदिर को जमीन की वापसी पर अपना रुख बदल डाला। हालांकि सारा मामला न्यायालय में चल रहा है।
सिंह ने कहा, “भगवान राम की 25 बीघा भूमि बिक गई और रामभक्तों को इसका एहसास तक नहीं हुआ। भाजपा और विश्व हिंदू परिषद का भूमि प्रेम अयोध्या में भी दिखा, जहां लोगों के मकान तोड़े गए और आसपास की जमीनें खरीद ली गईं।”
ट्रस्ट की ऑडिट और वित्तीय जांच की मांग
पूर्व मुख्यमंत्री ने इस भूमि बिक्री में अनियमितताओं की संभावना जताते हुए ट्रस्ट की ऑडिट की मांग की। उन्होंने कहा, “हम उन लोगों को हटाना नहीं चाहते जिन्होंने जमीन खरीदी, लेकिन ट्रस्ट की वित्तीय स्थिति की पूरी जांच होनी चाहिए।”
सिंह ने जोर दिया कि ट्रस्ट के खाते की ऑडिट 1976 से अब तक की जानी चाहिए, और अगर कोई वित्तीय अनियमितता पाई जाती है, तो जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
मंदिर ट्रस्टी और पुजारी से बातचीत
प्रेस वार्ता से पहले सिंह ने जवेरी श्रीराम मंदिर का दौरा किया और पुजारी मयूर व्यास से चर्चा की। पुजारी ने बताया कि उन्हें ट्रस्ट से कोई वेतन नहीं मिलता और वे अपने खर्च पर पूजा कार्य करते हैं। इसके बाद सिंह ने मंदिर के ट्रस्टी से फोन पर बात की, जिन्होंने सिंह को बताया कि ट्रस्ट के खाते में केवल साढ़े तीन लाख रुपये हैं, जबकि लगातार भूमि बिक्री से संबंधित शिकायतें आ रही हैं।
कलेक्टर से बंद कमरे में बैठक
शाम को सिंह ने कलेक्टर ऋषव गुप्ता से बंद कमरे में मुलाकात की और ट्रस्ट की ऑडिट रिपोर्ट की मांग की। उन्होंने कहा कि भूमि बिक्री से प्राप्त राशि का कोई स्पष्ट रिकॉर्ड नहीं है और इसकी गहन जांच होनी चाहिए। कलेक्टर ने मामले की जांच का आश्वासन दिया और तहसीलदार सपना शर्मा को मौके पर जाकर जांच करने के निर्देश दिए।