
देवास, 09 जुलाई 2025: देवास नगर निगम की वित्तीय अनियमितताओं और लापरवाही का एक और मामला सामने आया है, जहां ठेकेदारों और सप्लायरों को लंबे समय से भुगतान नहीं किया जा रहा। ताजा मामले में, एक ठेकेदार को भुगतान न मिलने पर न्यायालय की शरण लेनी पड़ी, जिसके बाद कोर्ट ने नगर निगम के वाहनों की कुर्की का आदेश जारी किया। मंगलवार को न्यायालय के कर्मचारी नगर निगम पहुंचे और कागजी कार्रवाई पूरी कर करीब 10 वाहनों को कुर्क कर निगम की सुपुर्दगी में सौंप दिया। इस घटना ने निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
ठेकेदार का 35 लाख बकाया, कोर्ट ने दिए ब्याज सहित भुगतान के आदेश
हातिमी इलेक्ट्रिकल फर्म ने 2013 से 2017 तक नगर निगम के विद्युत शाखा और अन्य कार्यों के लिए टेंडर के तहत काम किया था। इस दौरान निगम ने कुछ भुगतान किया, लेकिन करीब 35 लाख रुपये का भुगतान वर्षों से लंबित है। बार-बार मांग के बावजूद भुगतान न होने पर ठेकेदार ने जिला न्यायालय में वाद दायर किया। कोर्ट ने नगर निगम को 6 प्रतिशत ब्याज सहित बकाया राशि करीब 52 लाख का भुगतान करने का आदेश दिया। हालांकि, निगम ने आदेश का पालन नहीं किया, जिसके बाद कोर्ट ने कुर्की का आदेश जारी किया।
न्यायालय के कर्मचारियों ने की कार्रवाई, निगम में मचा हड़कंप
मंगलवार को न्यायालय के कर्मचारी नगर निगम पहुंचे और उपायुक्त वित्त दीपक पटेल व वाहन प्रभारी से मुलाकात कर कोर्ट का आदेश दिखाया। इसके बाद देर तक निगम कार्यालय में हड़कंप मचा रहा। सूत्रों के अनुसार, कर्मचारियों ने 10 वाहनों को कुर्क कर निगम की सुपुर्दगी में सौंपा। इस दौरान निगम के जिम्मेदार अधिकारी खुलकर बोलने से बचते नजर आए। जब मीडियाकर्मियों ने सवाल किए, तो अधिकारियों ने आनाकानी कर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
निगम की अपील खारिज, हाई कोर्ट में सुनवाई जारी
बताया जा रहा है कि नगर निगम ने इस मामले में जिला न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी, जो खारिज हो गई। इसके बाद निगम ने हाई कोर्ट में दूसरी अपील दायर की, जिसकी सुनवाई अभी चल रही है। बावजूद इसके, निगम की ओर से भुगतान में देरी और कोर्ट के आदेशों की अवहेलना ने प्रबंधन की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।
निगम की लापरवाही से शहरवासियों में रोष
यह पहला मामला नहीं है, जब नगर निगम की वित्तीय लापरवाही सामने आई हो। ठेकेदारों और सप्लायरों के बकाया भुगतान के कई मामले पहले भी चर्चा में रहे हैं। इस घटना ने न केवल निगम की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा किया है, बल्कि शहरवासियों में भी नाराजगी पैदा की है। स्थानीय लोगों का कहना है कि निगम की ऐसी लापरवाही से विकास कार्यों पर भी असर पड़ता है।
देवास नगर निगम की इस लापरवाही ने एक बार फिर प्रशासनिक अक्षमता को उजागर किया है। ठेकेदारों के बकाया भुगतान और कोर्ट के आदेशों की अवहेलना निगम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है। अगर समय रहते निगम ने अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं किया, तो भविष्य में ऐसी घटनाएं और बढ़ सकती हैं, जिसका खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ सकता है।


