देवास में ‘सफेद कोट’ पर जिहादी दाग: बलात्कार के आरोपी को बचाने वाला ‘डॉक्टर बबलू’ गिरफ्तार, लव जिहाद की खौफनाक साजिश बेनकाब

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Category: MP Crime / Special Report

Location: Dewas, Madhya Pradesh

Date: November 21, 2025

देवास: समाज में ‘धरती का भगवान’ कहे जाने वाले डॉक्टर जब मजहबी कट्टरता और जिहादी मानसिकता के गुलाम बन जाएं, तो स्थिति कितनी भयावह हो सकती है, इसका जीता-जागता उदाहरण मध्य प्रदेश के देवास में सामने आया है। यहां ‘इलाज’ के नाम पर ‘साजिश’ रची गई। मामला शहर के प्रतिष्ठित एपेक्स अस्पताल (Apex Hospital) से जुड़ा है, जहां के एक डॉक्टर (ICU NURSING) ने अपनी डॉक्टरी की शपथ को भूलकर अपने बलात्कारी दोस्त को बचाने के लिए कानून और नैतिकता की धज्जियां उड़ा दीं।

​’हैप्पी’ और ‘बबलू’: नाम बदलकर शिकार करने का नया पैंतरा

​यह मामला सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि एक गहरी साजिश का हिस्सा है। मुख्य आरोपी इरफान अली, जिसने खुद को ‘हैप्पी पंजाबी’ बताकर एक हिंदू युवती को प्रेम जाल में फंसाया, उसके साथ दुष्कर्म किया और बेरहमी से मारपीट की।

​जब युवती को गंभीर चोटें आईं और सिर से खून बहने लगा, तो इरफान उसे अस्पताल ले गया। लेकिन यहां कहानी में दूसरा बड़ा मोड़ आया। उसका बचपन का दोस्त और एपेक्स अस्पताल का डॉक्टर गुलाम हुसैन कुरैशी, वहां ‘डॉक्टर बबलू’ बनकर सामने आया।

​पढ़े-लिखे ‘जिहादी’ और अस्पताल में छिपा खेल

​इस पूरे घटनाक्रम ने पढ़े-लिखे तबके में छिपी बैठी कट्टरपंथी मानसिकता को बेनकाब कर दिया है।

  • पहचान छिपाई: डॉक्टर कुरैशी ने पीड़िता के सामने अपना नाम ‘बबलू’ बताया। उसने अपनी मुस्लिम पहचान पूरी तरह छिपा ली।
  • रिकॉर्ड गायब: 8 अक्टूबर की दोपहर, गंभीर रूप से घायल युवती का इलाज किया गया। सिर में तीन टांके लगाए गए, लेकिन अस्पताल के रजिस्टर में इसका कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं किया गया।
  • पुलिस को सूचना नहीं: मेडिको-लीगल केस (MLC) होने के बावजूद, डॉक्टर ने पुलिस को सूचना देना जरूरी नहीं समझा। मकसद सिर्फ एक था—अपने ‘कौम’ के अपराधी दोस्त को कानून के शिकंजे से बचाना।

​एपेक्स अस्पताल के संचालक पर लटकी तलवार

​पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि इतना बड़ा अपराध अस्पताल के अंदर हुआ और प्रबंधन को इसकी भनक तक नहीं लगी, यह गले नहीं उतरता। पुलिस का मानना है कि यह सिर्फ डॉक्टर की लापरवाही नहीं, बल्कि अस्पताल प्रशासन की भी बड़ी चूक या मिलीभगत हो सकती है।

​विजय नगर थाना प्रभारी चंद्रकांत पटेल के अनुसार, आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस अब एपेक्स अस्पताल के प्रबंधन को नोटिस भेजने की तैयारी में है। जांच का दायरा बढ़ाया जा रहा है कि क्या पहले भी ऐसे ही नाम बदलकर और रिकॉर्ड छिपाकर यहां अपराधों पर पर्दा डाला गया है?

डिग्री वाले दिमाग में भरा ‘जहर’

​दिल्ली बम धमाकों और लव जिहाद के बढ़ते मामलों के बीच देवास की यह घटना आंखें खोलने वाली है। यह साबित करता है कि कट्टरता अब सिर्फ मदरसों या अनपढ़ तबके तक सीमित नहीं है, बल्कि इसने स्टेथोस्कोप और सफेद कोट पहनने वालों के दिमाग को भी अपनी गिरफ्त में ले लिया है।

​एक डॉक्टर, जिसका धर्म सिर्फ मरीज की जान बचाना और सच्चाई का साथ देना होता है, वह जब अपराधी की ‘धार्मिक पहचान’ देखकर उसे बचाने के लिए ‘बबलू’ बन जाता है, तो यह समाज के लिए खतरे की घंटी है। यह एक ‘ऑर्गेनाइज्ड सिंडिकेट’ (संगठित गिरोह) की तरह काम कर रहे हैं, जिनका मकसद बहुसंख्यक समाज की बेटियों को शिकार बनाना और फिर सिस्टम में बैठे अपने लोगों के जरिए उन्हें बचाना है।

सवाल यह है:

  • ​क्या अस्पतालों में बैठे ऐसे और भी ‘बबलू’ हैं जो गुलाम हुसैन कुरैशी बनकर काम कर रहे हैं?
  • ​क्या अब इलाज करवाने से पहले मरीज को डॉक्टर का आधार कार्ड चेक करना पड़ेगा?

शासन और प्रशासन को चाहिए कि ऐसे अस्पतालों और डॉक्टरों के लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद्द किए जाएं। समाज को भी अब नाम और चेहरे के पीछे छिपी असलियत को पहचानने के लिए सतर्क रहना होगा, क्योंकि शिकार करने वाला भेड़िया अब पढ़े-लिखे वेश में भी आ सकता है

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