देवास: क्रिश्चियन कब्रिस्तान का वक्फ बोर्ड में दर्ज
देवास लाइव। द ग्रेस चर्च के सेक्रेटरी विजय गुप्ता और ओ.पी. भावसार ने आरोप लगाया कि देवास में क्रिश्चियन समाज के कब्रिस्तान को वक्फ संपत्ति के रूप में अवैध रूप से पंजीकृत कर लिया गया है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि स्टेशन रोड स्थित सर्वे नंबर 83 पर क्रिश्चियन कब्रिस्तान राजस्व रिकॉर्ड में सही तरीके से दर्ज है, लेकिन वक्फ बोर्ड और कब्रिस्तान कमेटी की मिलीभगत से इसे वक्फ संपत्ति में शामिल कर दिया गया। चर्च ने वक्फ बोर्ड के सीईओ से इस गड़बड़ी को ठीक करने की मांग की है।
वक्फ बोर्ड: विवाद
देशभर में वक्फ संपत्तियों को लेकर विवाद बढ़ते जा रहे हैं। इसी स्थान पर मरघट को भी कब्रिस्तान में शामिल कर विवादित बना दिया गया। वक्फ अधिनियम 1995 के तहत बोर्ड को असीमित अधिकार दिए गए थे, जिससे बिना पर्याप्त दस्तावेजों के किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित किया जा सकता था। इससे कई बार निजी और सार्वजनिक संपत्तियों के दावे विवादित हुए हैं। अब, केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड की शक्तियों को सीमित करने के लिए 2024 में संशोधन विधेयक पेश किया है। इसके जरिए संपत्तियों के पंजीकरण में पारदर्शिता लाने और अतिक्रमण रोकने की कोशिश हो रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि वक्फ बोर्ड में सुधार जरूरी है। वक्फ संपत्तियों का उपयोग जन-कल्याण के लिए होना चाहिए, न कि किसी समुदाय विशेष के लाभ के लिए। इस मामले में सरकार और प्रशासन को सुनिश्चित करना होगा कि वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण में अन्य समाजों के अधिकारों का उल्लंघन न हो।
इस विवाद से यह स्पष्ट है कि वक्फ बोर्ड को जवाबदेही और पारदर्शिता के साथ काम करना चाहिए। क्रिश्चियन कब्रिस्तान का मामला प्रशासन की लापरवाही और वक्फ बोर्ड के दुरुपयोग का उदाहरण है। इस समस्या का समाधान न्यायिक हस्तक्षेप और सभी पक्षों के साथ बातचीत से किया जाना चाहिए।