देवास। विप्पी इण्डस्ट्रीज कर्मचारी साख सहकारी संस्था मर्यादित, देवास में हुए लाखों के गबन के मामले ने एक बार फिर सहकारिता विभाग की कार्यशैली और उसमें व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है। सोमवार को संस्था के पीड़ित सदस्यों ने बरसते पानी में सहकारिता विभाग का घेराव किया और निष्पक्ष जांच की मांग की। यह घटना सहकारिता विभाग के प्रति जनता के असंतोष को दर्शाती है और यह सवाल खड़ा करती है कि आखिर कब तक गरीबों की मेहनत की कमाई ऐसे ही लूटती रहेगी?
संस्था के पदाधिकारियों द्वारा 70 लाख रुपए की भारी-भरकम राशि का गबन किया गया है, जिसकी जांच तीन महीनों से अधिक समय से लंबित है। सहकारिता विभाग की जांच टीम ने एक महीने में जांच पूरी करने का वादा किया था, लेकिन आज तक जांच पूरी नहीं हो पाई है। जांच की गति और टीम की उदासीनता से ऐसा प्रतीत होता है कि जांच प्रक्रिया को जानबूझकर लटकाया जा रहा है। इस उदासीनता के चलते पीड़ित सदस्यों के धैर्य की सीमा टूट गई और वे जन आंदोलन की चेतावनी देने पर मजबूर हो गए हैं।
इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि सहकारिता विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण गरीब लोगों की बचत की राशि डूब रही है। यह पहली बार नहीं है जब देवास में सहकारी समितियों ने घोटाला किया हो। इससे पहले भी कई सहकारी समितियों ने घोटाले किए हैं, जिसमें गरीब लोगों की लाखों रुपए की बचत फंस गई है, लेकिन सहकारिता विभाग इन मामलों में अब तक न्याय दिलाने में असफल रहा है। विभाग की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार ने जनता का विश्वास खो दिया है और इसे वापस पाना आसान नहीं होगा।
इस मामले में सबसे बड़ी समस्या यह है कि जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता और समयबद्धता का अभाव है। जांच टीम के सदस्यों की अनुपस्थिति और अनिश्चितता ने पीड़ितों के संदेह को और गहरा कर दिया है। यदि जल्द ही इस मामले की निष्पक्ष और पूर्ण जांच नहीं होती है, तो यह न केवल सहकारिता विभाग की साख पर बट्टा लगाएगा, बल्कि गरीब और मेहनतकश लोगों के विश्वास को भी खत्म कर देगा।
संस्था के पीड़ित सदस्यों ने स्पष्ट किया है कि यदि एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट नहीं आती है और दोषियों पर कार्यवाही नहीं होती है, तो वे जन आंदोलन करेंगे, जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी। यह स्थिति न केवल देवास बल्कि पूरे राज्य में सहकारिता विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है और इसमें सुधार की सख्त आवश्यकता है।