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देवास वक्फ कब्रिस्तान विवाद: हाई कोर्ट ने ट्रिब्यूनल का आदेश रद्द कर दिया, मामले को पुनः सुनवाई के लिए भेजा

देवास। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट, इंदौर ने देवास के रेलवे स्टेशन के पास स्थित वक्फ कब्रिस्तान से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में वक्फ ट्रिब्यूनल, भोपाल के आदेश को रद्द कर दिया है। मामला कब्रिस्तान की जमीन के स्वामित्व और उपयोग को लेकर था, जिसमें वक्फ ट्रिब्यूनल ने फरवरी 2024 में आदेश दिया था कि कब्रिस्तान के गेट पर लगाए गए ताले खोल दिए जाएं और अंतिम संस्कार में कोई बाधा न दी जाए। ट्रिब्यूनल के इस फैसले को मध्य प्रदेश सरकार और अन्य ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

याचिका में सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद सोनी ने दलील दी कि विवादित जमीन पर तीन समुदायों का अलग-अलग स्वामित्व है। सर्वे नंबर 83 ईसाई समुदाय के कब्रिस्तान की जमीन है, सर्वे नंबर 84 हिंदू समुदाय के मरघट की जमीन है, और केवल सर्वे नंबर 85 मुस्लिम समुदाय का वक्फ कब्रिस्तान है। उन्होंने कहा कि यदि इस जमीन पर दखलअंदाजी होती है तो यह क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव को जन्म दे सकता है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि मुस्लिम समुदाय के पास पहले से ही छह बड़े कब्रिस्तान उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग किया जा सकता है।

वक्फ कब्रिस्तान के पक्ष में वरिष्ठ अधिवक्ता वी.के. जैन और मखबूल अहमद मंसूरी ने तर्क दिया कि यह जमीन वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत है और इसका उपयोग केवल मुस्लिम समुदाय द्वारा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह जमीन वर्षों से वक्फ रिकॉर्ड में दर्ज है और इस पर किसी भी अन्य समुदाय का कोई अधिकार नहीं है।

हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए वक्फ ट्रिब्यूनल के आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ट्रिब्यूनल ने सीपीसी की धारा 151 के तहत आदेश पारित किया था, जबकि ऑर्डर 39 रूल 1 और 2 के तहत मामला पहले से ही लंबित था। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ट्रिब्यूनल को पहले लंबित आवेदन पर निर्णय लेना चाहिए था। न्यायालय ने यह भी कहा कि ट्रिब्यूनल का आदेश कानून के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है।

हाई कोर्ट ने मामले को वक्फ ट्रिब्यूनल, भोपाल को वापस भेज दिया और निर्देश दिया कि वह दोनों पक्षों की दलीलों, फोटोग्राफ्स और अन्य सबूतों की मदद से मामले की पुनः सुनवाई करे। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि लंबित आवेदन पर जल्द से जल्द निर्णय लिया जाए। अब वक्फ ट्रिब्यूनल को इस मामले की दोबारा सुनवाई करनी होगी और तथ्यों के आधार पर निर्णय लेना होगा।

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