देवास। ग्रेसियस कॉलोनाइजर इंडिया लिमिटेड चिटफंड कंपनी के डायरेक्टर्स लखन जायसवाल और धर्मेन्द्र ठाकुर को पैसे डबल करने के झूठे वादे के जरिए धोखाधड़ी करने के मामले में दोषी पाया गया है। तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश, देवास श्री राजेन्द्र कुमार पाटीदार की अदालत ने दोनों को कड़ी सजा सुनाते हुए भादंस की धारा 420, 406, 120-बी और म.प्र. निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम के तहत कारावास और जुर्माने से दंडित किया है।
घटना का विवरण
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 23 दिसंबर 2020 को फरियादी विमल चौधरी ने अपने साथियों किशोर पटेल, राजेश पांचाल और कैलाश जायसवाल के साथ कोतवाली, देवास में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में बताया गया कि वर्ष 2014 में ग्रेसियस कॉलोनाइजर इंडिया लिमिटेड चिटफंड कंपनी के डायरेक्टर्स लखन जायसवाल और धर्मेन्द्र ठाकुर ने उन्हें अपनी कंपनी में निवेश करने पर 5 साल में पैसे दोगुने करने का वादा किया था। इस विश्वास में आकर फरियादी और उनके मित्रों ने एफडी और आरडी खाते खुलवाए।
फरियादी ने अपनी एफडी में 1 लाख रुपये जमा किए थे, जिसकी परिपक्वता पर उसे 2 लाख रुपये मिलने थे, लेकिन जब परिपक्वता तिथि आई, तो कंपनी ने पैसे लौटाने से इनकार कर दिया। इसी तरह फरियादी के अन्य दोस्तों और परिवार ने भी निवेश किया था, लेकिन किसी को उनका पैसा वापस नहीं मिला।
अदालत का फैसला
अपर सत्र न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई के बाद दोनों अभियुक्तों को दोषी करार दिया। लखन जायसवाल और धर्मेन्द्र ठाकुर को भादंस की धारा 420 के तहत 4 साल का सश्रम कारावास और 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। साथ ही, धारा 406 के तहत 3 साल का सश्रम कारावास और 50,000 रुपये का जुर्माना, धारा 120-बी के तहत 2 साल का कारावास और 50,000 रुपये का जुर्माना, तथा म.प्र. निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम की धारा 6(1) के तहत 4 साल का कारावास और 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
अभियोजन की ओर से प्रभावी पैरवी
शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक श्री जगजीवनराम सवासिया ने मामले में कुशल पैरवी की। वहीं, कोर्ट मोहर्रिर आरक्षक हर्षवर्धन चौहान ने भी महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया।