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इंदौर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: देवास MG Road चौड़ीकरण को मिली हरी झंडी, लेकिन मकान मालिकों को मुआवजा देना होगा

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इंदौर/देवास 04 दिसंबर 2025: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने देवास शहर में लंबे समय से विवादास्पद चल रहे सड़क चौड़ीकरण प्रोजेक्ट को बुधवार (26 नवंबर 2025) को अंतिम मंजूरी दे दी है। न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा की एकल पीठ ने प्रहलाद डागा, सैयद जाकिर अली सहित कई याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं पर विस्तृत आदेश पारित करते हुए नगर निगम देवास को कार्य आगे बढ़ाने की अनुमति दी, लेकिन कड़े दिशा-निर्देशों के साथ।

मुख्य बिंदु:

  • सड़क की मध्य रेखा (Central Line) सबसे पहले तय करना अनिवार्य
  • मकान मालिक स्वेच्छा से जमीन नहीं देंगे तो केवल FAR नहीं, मौद्रिक मुआवजा (Monetary Compensation) देना होगा
  • कब्जा लेने के बाद 6 महीने में मुआवजा भुगतान पूरा करना बंधनकारी
  • धारा 305 के तहत नोटिस के बाद जमीन अपने आप निगम में निहित हो जाती है, अलग से लैंड एक्विजिशन की जरूरत नहीं

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता एवं भूमि विकास नियम-2012 के नियम 61 के तहत FAR तभी दिया जा सकता है जब मालिक स्वेच्छा से जमीन सरेंडर करे। जबरन अधिग्रहण की स्थिति में नकद मुआवजा देना अनिवार्य है।

कोर्ट द्वारा निर्धारित नई प्रक्रिया:

  1. सबसे पहले सड़क की मध्य रेखा निर्धारित की जाएगी
  2. याचिकाकर्ताओं को व्यक्तिगत नोटिस जारी कर निरीक्षण की तारीख दी जाएगी
  3. मकान मालिकों की उपस्थिति में माप-जोख की जाएगी
  4. नगर निगम + टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के अधिकारियों की संयुक्त टीम सीमांकन करेगी
  5. माप रिपोर्ट के बाद मकान मालिकों को सुनवाई का मौका मिलेगा
  6. अंतिम आदेश के बाद मुआवजे का मूल्यांकन → कब्जा → 6 महीने में भुगतान

न्यायालय ने यह भी कहा कि देवास डेवलपमेंट प्लान 2041 अभी केवल ड्राफ्ट है, इसलिए वर्तमान मास्टर प्लान 2031 ही लागू होगा। निगम 12-15 मीटर चौड़ाई तक ही सड़क बना सकेगा।

याचिकाकर्ताओं की मुख्य दलीलें थीं:

  • मध्य रेखा तय किए बिना नोटिस अवैध
  • केवल FAR देना पर्याप्त नहीं, नकद मुआवजा चाहिए
  • नया ड्राफ्ट प्लान 2041 में चौड़ाई 12 मीटर ही प्रस्तावित है

नगर निगम का पक्ष था कि धारा 305 में मुआवजा पहले देना जरूरी नहीं है और FAR पर्याप्त है, जिसे कोर्ट ने आंशिक रूप से खारिज कर दिया।

यह आदेश देवास ही नहीं, पूरे मध्य प्रदेश में सड़क चौड़ीकरण और शहरी विकास परियोजनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी मिसाल बनेगा। अब तक कई शहरों में इसी तरह के विवादों में मकान मालिकों को केवल TDR/FAR देकर काम शुरू कर दिया जाता था, जिसे हाईकोर्ट ने गलत ठहराया है।

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