देवास: साइबर ठगी मामले में आरोपियों से 35 लाख का ‘बड़ा लेनदेन’, देवास में दो SI निलंबित; ₹9 लाख की ठगी का था केस

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देवास (मध्य प्रदेश): मध्य प्रदेश पुलिस के महकमे में एक और बड़ा वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया है। देवास में साइबर ठगी के एक मामले में आरोपियों को बचाने के लिए उनसे ₹35 लाख से अधिक की ‘डील’ करने के आरोप में दो उप-निरीक्षकों (SI) को निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई पुलिस अधीक्षक (SP) पुनीत गेहलोद ने की है।

​इस मामले ने हाल ही में सिवनी में हुए ‘हवाला लूटकांड’ के बाद पुलिस की साख पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं, जहां पुलिसकर्मियों ने करोड़ों की हवाला राशि में हेरफेर की थी।

क्या है पूरा घटनाक्रम?

​मामला कमलापुर थाना क्षेत्र का है, जहां एक युवक ने लगभग ₹9 लाख की साइबर ठगी की शिकायत दर्ज कराई थी।

  1. आरोप: सूत्रों के अनुसार, जांच के दौरान कमलापुर के तत्कालीन थाना प्रभारी उपेंद्र नाहर और चापड़ा पुलिस सहायता केंद्र प्रभारी राकेश नरवरिया आरोपियों तक पहुंचे। आरोप है कि दोनों अधिकारियों ने आरोपियों को कानूनी कार्रवाई से संरक्षण देने के बदले में उनसे ₹35 लाख से अधिक की मोटी रकम का लेनदेन किया।
  2. शिकायत और जांच: एसपी गेहलोद को जब इस ‘बड़े लेनदेन’ की लिखित शिकायत मिली, तो उन्होंने तत्काल कार्रवाई करते हुए जांच शुरू करवाई। प्रारंभिक जांच और पुलिस सहायता केंद्र चापड़ा व कमलापुर थाने के सीसीटीवी फुटेज की पड़ताल में प्रथम दृष्टया दोनों एसआई की संलिप्तता सामने आई।
  3. कार्रवाई: शिकायत की गंभीरता को देखते हुए एसपी ने नाहर और नरवरिया को तत्काल निलंबित कर दिया। निलंबन से पहले नाहर को कमलापुर थाने से हटाकर कन्नौद भेजा गया था।

ASP कन्नौद को सौंपी जांच

​एसपी पुनीत गेहलोद ने पुष्टि करते हुए बताया कि दोनों एसआई के संबंध में गंभीर शिकायतें मिली थीं, जिसके बाद उन्हें निलंबित किया गया है। मामले की विस्तृत और उच्च-स्तरीय जांच की जिम्मेदारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) कन्नौद सौम्या जैन को सौंपी गई है। सूत्रों के मुताबिक, जांच में एक अन्य पुलिस अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध है।

सिवनी हवाला कांड के बाद दूसरा बड़ा मामला

​पुलिस महकमे में यह घटना ऐसे समय में हुई है जब कुछ ही समय पहले सिवनी में पुलिसकर्मियों द्वारा करोड़ों रुपए के हवाला कैश को लूटने और हेरफेर करने का मामला सामने आया था। सिवनी कांड में एसडीओपी समेत कई पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया था।

​देवास का यह मामला दिखाता है कि जांच के दौरान अपराधियों को संरक्षण देने के लिए पुलिसकर्मियों द्वारा ही अवैध लेनदेन करने के गंभीर आरोप मध्य प्रदेश पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं।

​इस बीच, मूल साइबर ठगी के मामले में कमलापुर पुलिस ने पाँच आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया है। एएसपी की जांच के बाद इस मामले में और भी खुलासे होने की संभावना है।