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किसानों को पहले कलेक्टर ने FIR की धमकी दी बाद में खेद व्यक्त किया, आखिर किसान और प्रशासन में यह नकारात्मकता क्यों?



देवास लाइव। (सौरभ सचान, संपादकीय) मंगलवार को गेहूं उपार्जन के विषय में किसान संगठनों के साथ कलेक्टर की बैठक हुई। किसान नेताओं द्वारा तौल संबंधी शिकायतें की गई जिस पर माहौल गर्म हो गया। बताया जा रहा है इस दौरान कलेक्टर ने किसान नेताओं को FIR की भी धमकी दे दी। उन्होंने यहां तक कह दिया कि मैं एक एक को जानता हूं जो लोग नेतागिरी करते हैं। आप लोग उपार्जन केंद्र में जाकर किसानों को भड़काते हो। इससे नाराज होकर किसान नेता बैठक से चले गए। सूत्रों के अनुसार घटनाक्रम के बाद बात भोपाल तक पहुंची और जिसके बाद किसानों को खेद प्रकट कर बैठक में बुलाया गया। इसके बाद फ्लैट बड़े कांटे पर तौल पर सहमति बनी।


मध्यप्रदेश में किसानों का मुद्दा हमेशा सरकार गंभीरता से लेती आई है। मंदसौर के बाद देवास में किसान आंदोलन सबसे उग्र हुआ था। देवास में तो भोपाल रोड पर कई बसें और ट्रक तक फूंक डाले गए थे। पिछले दिनों लैंड पूलिंग को लेकर किसान आंदोलित रहे हैं और कई बार किसान संगठन और अधिकारी आमने-सामने हुए है। नवागत कलेक्टर से पहले जो अधिकारी यहां पर जमे हैं उन्हें कम से कम ठीकठाक फीडबैक कलेक्टर को देना चाहिए। जिला खाद्य अधिकारी शालू वर्मा को देवास जिले में 5 साल से भी अधिक हो चुके हैं और उन्हें उपार्जन का काफी अनुभवी हो चुका है, उसके बाद भी अगर किसान संगठन सहमत नहीं है तो यह कहीं न कहीं सिस्टम की खामी है। रही बात एसडीएम प्रदीप सोनी की तो उन्हें शहरी अधिकारी माना जाता है, किसानों के प्रति वह कितने संवेदनशील है यह तो किसान ही जानते होंगे। बहराल चुनावी मौसम में अधिकारियों को संवेदनशीलता तो दिखानी ही होगी। इधर किसानों के नेताओं की भी नेतागिरी काफी देखने को मिलेगी। यही वह वक्त है जब किसान, अधिकारी, कर्मचारी भी अपनी मांग मनवाने के लिए सरकार पर दबाव बनाते हैं।

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