
उज्जैन संभाग की समीक्षा बैठक में जहां कई नगरीय निकायों के कामकाज पर चर्चा हुई, वहीं देवास नगर निगम का मामला सबसे अलग नजर आया। बैठक में एसीएस नगरीय विकास एवं आवास संजय दुबे ने देवास नगर निगम के कार्यों का स्पेशल ऑडिट कराने के निर्देश दिए।
यह फैसला अपने आप में बड़ा संकेत है कि देवास नगर निगम के कामकाज पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। एक ओर निकायों को राजस्व वसूली, स्वच्छता और सड़क निर्माण में पारदर्शिता लाने की हिदायत दी जा रही थी, वहीं देवास का नाम विशेष रूप से स्पेशल ऑडिट के लिए चिन्हित होना साफ करता है कि निगम की कार्यप्रणाली पर भरोसा नहीं किया जा रहा।
स्पेशल ऑडिट का मतलब है—खर्च, परियोजनाओं की गुणवत्ता और कार्यप्रणाली की बारीकी से जांच। इससे यह भी साफ है कि देवास में विकास कार्यों पर उठ रही शिकायतें अब सिर्फ फाइलों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि शासन स्तर पर भी गूंजने लगी हैं।
सवाल यह है कि आखिर देवास नगर निगम ने ऐसा क्या किया कि सीधा स्पेशल ऑडिट की नौबत आ गई? क्या राजस्व वसूली और सड़क निर्माण जैसे कामों में लापरवाही की गई? क्या स्वच्छ भारत मिशन और आवास योजनाओं के क्रियान्वयन में गड़बड़ियां हुईं?
देवास के नागरिकों के लिए यह खबर चिंता और उम्मीद दोनों लाती है। चिंता इसलिए कि नगर निगम पर शासन का भरोसा डगमगा गया है, और उम्मीद इसलिए कि स्पेशल ऑडिट से सच्चाई सामने आएगी और जिम्मेदारों पर कार्रवाई तय होगी।


