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देवास प्रेस क्लब चुनाव: पेशेवर वकील नहीं लड़ पाएंगे चुनाव, कइयों के सपने टूटेंगे

देवास। शहर की संस्था देवास प्रेस क्लब के चुनाव 28 सितंबर को होने जा रहे हैं, लेकिन इस बार कुछ महत्वपूर्ण नियम परिवर्तन चुनाव प्रक्रिया में दिख सकते हैं। वकालत का पेशा अपनाने वाले पत्रकारों को इस बार चुनाव में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जो कि अधिवक्ता अधिनियम 1961 के प्रावधानों के अंतर्गत एक सही कदम है। यह अधिनियम वकालत को पूर्णकालिक पेशा मानता है, जिसके तहत एक वकील पत्रकारिता जैसे किसी अन्य पेशे में सक्रिय रूप से शामिल नहीं हो सकता।

हाल के वर्षों में, देवास में कई वकीलों ने पेशेवर पत्रकार होने का दावा करते हुए पत्रकारिता से जुड़ी सरकारी अधिमान्यता प्राप्त कर ली है, जो कि अधिवक्ता अधिनियम के विरुद्ध है। अब वही लोग प्रेस क्लब के चुनावों में भी अपना भाग्य आजमाने की तैयारी कर रहे हैं। यह स्पष्ट है कि ऐसे कार्यों से पत्रकारिता और वकालत, दोनों ही क्षेत्रों में नियमों का खुला उल्लंघन हो रहा है। यदि इन व्यक्तियों के खिलाफ शिकायतें दर्ज होती हैं, तो उनकी अधिमान्यता या वकालत का लाइसेंस रद्द होने की संभावना बन सकती है।

नियमों का उल्लंघन: पत्रकारिता और वकालत के बीच संघर्ष

इस चुनाव के संदर्भ में एक और गंभीर मुद्दा यह है कि कुछ वकील, जो वर्षों से वकालत कर रहे हैं, अपने नाम पर अखबार भी चला रहे हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ वकीलों ने शासकीय नोटरी के पद भी हासिल कर रखे हैं। यह स्पष्ट रूप से अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है और कानून के खिलाफ जाता है। यह स्थिति पत्रकारिता की गरिमा को नुकसान पहुंचा रही है और प्रेस क्लब की प्रतिष्ठा पर भी प्रश्नचिह्न लगा रही है।

निष्पक्ष चुनाव की मांग

देवास प्रेस क्लब में बीते चुनावों के दौरान देखा गया है कि जो भी अध्यक्ष पद पर रहा, उसने केवल अपने परिवार और करीबी लोगों को सदस्यता दी, जिससे असली और निष्पक्ष पत्रकार आज भी क्लब से बाहर हैं। यह मनमानी और पक्षपातपूर्ण रवैया क्लब के अंदर गहरी नाराजगी पैदा कर रहा है। अब, कई पत्रकारों ने इस बार चुनाव को निष्पक्ष और नियमबद्ध कराने की मांग की है, ताकि प्रेस क्लब का संचालन पारदर्शी तरीके से हो सके।

कई पत्रकारों का यह भी मानना है कि इस बार सहकारिता विभाग से किसी सरकारी अधिकारी को चुनाव अधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिए, ताकि चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष और कानूनी रूप से सही हो सके। साथ ही, वकालत का व्यवसाय कर रहे लोगों को चुनाव से दूर रखा जाना आवश्यक है, ताकि क्लब की गरिमा बनी रहे और सही पत्रकारों को मंच मिल सके।

देवास प्रेस क्लब का यह चुनाव सिर्फ एक संस्था का चुनाव नहीं है, बल्कि यह पत्रकारिता की साख और उसकी पवित्रता का सवाल भी है। नियमों का पालन और निष्पक्षता ही इस संस्था की साख को बचा सकती है। उन लोगों की आलोचना जरूरी है जो कानून और नियमों के खिलाफ जाकर अपने निजी स्वार्थों के लिए पत्रकारिता को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में प्रेस क्लब को एक सशक्त और निष्पक्ष नेतृत्व की जरूरत है, जो पत्रकारिता के मूल्यों को संरक्षित रख सके और सदस्यों के बीच पारदर्शिता और नियमों का पालन सुनिश्चित कर सके।

Sneha
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