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प्रधानमंत्री आवास योजना में सवा करोड़ से अधिक का घोटाला, तत्कालीन सोनकच्छ सीएमओ सहित चार पर लोकायुक्त ने प्रकरण दर्ज किया

देवास लाइव. जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना में लगातार घोटालों का खुलासा होता जा रहा है. सतवास, काँटाफोड़ में करोड़ों के घोटाले के मामले में लोकायुक्त ने कई लोगों पर प्रकरण हुआ था. अब सोनकच्छ में भी इस प्रकार का घोटाला सामने आया है.

लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक श्री अनिल विश्वकर्मा को शिकायत प्राप्त हुई थी कि नगर परिषद सोनकच्छ देवास में माह मई २०२० से जुलाई २०२० के मध्य प्रधानमंत्री आवास योजना मद से रुपए १,२७,२७,०४६( एक करोड़ सत्ताइस लाख सत्ताइस हजार छियालिस रुपए) का अनियमित भुगतान मद में परिवर्तन कर किया गया है। प्रकरण की जांच डी. एस. पी. सुनील कुमार तालान द्वारा की गई।जांच पर यह प्रमाणित पाया गया कि तत्कालीन सी .एम. ओ. के .एन .एस. चौहान द्वारा कोविड की सामग्री क्रय करने के नाम पर पी .एम. ए. वाय. योजना के मद से अन्य मद में राशि का दुरुपयोग कर अनियमित भुगतान किया है। ज्यादातर सामग्री नितिन गांगुरडे की फर्मों जैसे नितिन ट्रेडिंग, मां तुलजा इंटरप्राइजेज आदि से खरीदना बताया है।स्टोर प्रभारी मानसिंह मनोरिया ने भी सी. एम .ओ. द्वारा बताए अनुसार बिना सामग्री प्राप्त किए स्टॉक में आमद दर्शा दी। इंदौर की फर्म रवि इंटरप्राइजेज से भी नियम विरुद्ध खरीदी की। नितिन गांगुर्दे को ५५ लाख से अधिक और रवि राजौरिया को ५ लाख लगभग का अनियमित और फर्जी भुगतान किया। फर्मों ने लाखों के बिल पर जी .एस. टी. भी नहीं भरा। सी एम ओ ने तत्कालीन प्रशासक एस.डी.एम. से नोट शीट पर बिना अनुमति प्राप्त किए स्वयं एकल हस्ताक्षर से भुगतान किया। पी.एम .ए .वाय .योजना की राशि एन. ई. एफ. टी. के माध्यम से सप्लायर फर्मों के खातों में अंतरित कर दी। कुछ अन्य भुगतान भी इस योजना मद से नियम विरुद्ध किए गए हैं। पी .एम. ए. वाय. योजना की कैशबुक में इन भुगतानों का इंद्राज भी नहीं किया गया। भंडार क्रय नियमों का घोर उल्लंघन कर गबन किया गया।

जांच प्रमाणित पाए जाने पर तत्कालीन सी .एम .ओ. के. एन. एस. चौहान, स्टोर प्रभारी मानसिंह मनोरिया, प्राइवेट व्यक्ति नितिन गांगुर्दे और प्राइवेट व्यक्ति रवि राजौरिया एवं अन्य के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा ७,१३(१)a,१३(२) और भारतीय दण्ड विधान की धारा २०१, ४०९,४२०,१२० b के अधीन प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है। अपराध क्रमांक 172/23 है।

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